Chief Editor

Dharmendra Singh

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June 2025
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June 18, 2025

सच दिखाने की हिम्मत

कर्नल (डॉक्टर) देव आनंद लोहामरोड़, 1947 में अविभाजित भारत ( 41,5000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल) के विभाजन के समय 22% ( 9 लाख 55 000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल ) से बने पाकिस्तान ने शुरुआत से ही राजनीतिक अस्थिरता, सैन्य हस्तक्षेप, आर्थिक संकट और जातीय संघर्षों का सामना किया है। 1971 में इसका पहला विभाजन हुआ, जिससे बांग्लादेश के हिस्से में 1,47,570 वर्ग किलोमीटर (तत्कालीन पाकिस्तान का लगभग 15.27% क्षेत्र एवं पाकिस्तान के पास 8,18,955 वर्ग किलोमीटर तत्कालीन पाकिस्तान का लगभग 84.73% क्षेत्र) क्षेत्र के साथ बांग्लादेश का जन्म हुआ। आज, पाकिस्तान फिर से गहरे संकट में है,

पाकिस्तान की वर्तमान स्थिति:-
आज पाकिस्तान आर्थिक बदहाली, राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक उथल-पुथल से जूझ रहा है। विदेशी ऋण का बोझ बढ़ता जा रहा है, महंगाई चरम पर है, और आम जनता सरकार की नीतियों से असंतुष्ट है। सेना और लोकतांत्रिक सरकारों के बीच सत्ता संघर्ष लगातार चलता आ रहा है। उत्तर पश्चिम में टीपीपी द्वारा खैबर पख्तूनवा के बड़े इलाके पर इलाके पर कब्जा किया जाना, दक्षिण मे बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी द्वारा कई इलाकों में कब्जा किया जाना ,ग्लोबल टेरेरिज्म इंडेक्स -2025 की रिपोर्ट में पाकिस्तान को दुनिया के 163 देशों के बीच दूसरे नंबर की रैंक जहां पर पर आतंकवादी हमलों में मरने वालों की संख्या पिछले वर्ष की तुलना में 45 प्रतिशत बढ़कर 1,081 हो गई तथा 10 मार्च को जाफर एक्सप्रेस बलूचिस्तान प्रांत के क्वेटा से खैबर पख्तूनख्वा के पेशावर जा रही यात्री ट्रेन को अगवा करते हुए 500 लोगों को कैदी बना लिया जाना जैसी घटनाएं पाकिस्तान के टूटने की ओर साफ-साफ इशारा कर रही है।

पाकिस्तान के टूटने के प्रमुख कारण:-

  1. अर्थव्यवस्था का पतन:- पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था गहरे संकट में है। विदेशी कर्ज बढ़ता जा रहा है, और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की शर्तों के कारण पाकिस्तान की संप्रभुता पर भी खतरा मंडरा रहा है, निवेशकों का भरोसा कम हो रहा है, चीन- पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) भी अपेक्षित लाभ नहीं दे सका, महंगाई चरम पर है, विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घट रहा है। सरकार के पास नागरिकों को राहत देने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं, जिससे जनता में असंतोष बढ़ रहा है। बलूचिस्तान और सिंध जैसे क्षेत्रों में यह आर्थिक संकट अलगाववाद को और भड़का सकता है।
  2. बलूचिस्तान में अलगाववाद:-
    बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा और संसाधन-संपन्न प्रांत है, लेकिन यह क्षेत्र दशकों से अलगाववादी आंदोलनों का केंद्र बना हुआ है। बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) और अन्य समूह पाकिस्तान सरकार के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष चला रहे हैं। वे स्वतंत्र बलूचिस्तान की मांग कर रहे हैं और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का भी विरोध कर रहे हैं। पाकिस्तान की सेना बलूचिस्तान में दमनकारी नीतियाँ अपना रही है, जिससे वहां की जनता में अलगाववादी भावना और अधिक बढ़ रही है।
  3. पख्तून आंदोलन और टीटीपी का प्रभाव:-
    पख्तून बहुल खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में भी अस्थिरता बढ़ रही है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने हाल के वर्षों में कई हमले किए हैं और सरकार की सत्ता को चुनौती दी है। अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी ने पाकिस्तान में टीटीपी को और मजबूत किया है। पख्तून राष्ट्रवादी समूह भी पाकिस्तान से अलग होकर एक स्वतंत्र पख्तूनिस्तान की मांग कर रहे हैं।
  4. सिंध में अलगाववादी आंदोलन:-
    सिंध में भी पाकिस्तान सरकार के खिलाफ विरोध बढ़ रहा है। सिंधी राष्ट्रवादी संगठन खुले तौर पर पाकिस्तान से अलग होने की मांग कर रहे हैं। कराची और अन्य बड़े शहरों में आर्थिक असमानता और राजनीतिक भेदभाव के कारण सिंधी समुदाय में असंतोष गहरा रहा है।

पाकिस्तान टूटने पर कौन-कौन से देश बन सकते हैं?
ऐसी स्थिति में पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर(पीओ के) भारत में विलय हो जाएगा एवं पाकिस्तान के चार टुकड़े होने की संभावना बन सकती है।
बलूचिस्तान :- बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, जो क्षेत्रफल के हिसाब से लगभग 44% (347,190 वर्ग किमी) भूमि क्षेत्र को कवर करता है, और जनसंख्या पाकिस्तान की कुल आबादी का केवल 6-7% है। 1947 में पाकिस्तान बनने के समय बलूचिस्तान स्वतंत्र था। 27 मार्च 1948 को पाकिस्तान ने इसे जबरन अपने नियंत्रण में ले लिया। बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA), बलूच रिपब्लिकन आर्मी (BRA), और बलूच लिबरेशन फ्रंट (BLF) जैसे संगठन सशस्त्र संघर्ष केवल शोध स्वरूप बड़े हिस्से पर इन सशस्त्र संगठनों का कब्जा हो चुका है। आज बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी द्वारा एक यात्री रेलगाड़ी को अगवा गिर जाना इसी और संभावनाओं को दर्शाता है। यदि बलूचिस्तान अलग होता है, तो पाकिस्तान अपनी 44% भूमि, प्रमुख बंदरगाह (ग्वादर), और प्राकृतिक संसाधन खो देगा।
खैबर पख्तूनवा:- खैबर पख्तूनख्वा (KPK) का क्षेत्रफल लगभग 101,741 वर्ग किमी है, जो पाकिस्तान के कुल भूमि क्षेत्र (881,913 वर्ग किमी) का लगभग 11.5% है, इसकी आबादी 4.0 करोड़ से अधिक है, जो पाकिस्तान की कुल जनसंख्या का लगभग 18% बनाती है। टिहरी के तालिबान पाकिस्तान का बड़े इलाके पर कब्ज माना जा रहा है। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के पश्तून-बहुल क्षेत्र (खैबर पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान का पश्तून क्षेत्र, और संघीय प्रशासित कबायली क्षेत्र) को मिलाकर एक अलग देश बनाने की मांग है। अफगानिस्तान पहले से ही “डुरंड रेखा” (Durand Line) को अस्वीकार करता है । यह देखना दिलचस्प होगा कि बलोच बाहुबली इलाका ग्रेटर अफगानिस्तान का हिस्सा बनेंगे या फिर एक स्वतंत्र देश बन पाएगा।
सिंध :- सिंध, पाकिस्तान के कुल क्षेत्रफल का 18% घेरता है लेकिन इसकी जनसंख्या पाकिस्तान की कुल जनसंख्या का 21% है। इसमें कराची का आर्थिक और जनसंख्या घनत्व बड़ा योगदान देता है।
पंजाब:- पाकिस्तान की कुल जनसंख्या का लगभग 53% हिस्सा पंजाब में रहता है जो हर दृष्टि से मजबूत एवं ताकतवर स्थिति में है तथा शेष पाकिस्तानियों के साथ भेदभाव करता है । शेष बचा हुआ हिस्सा पंजाब कहला सकता है या फिर “मूल पाकिस्तान” के रूप में जाना जा सकता है।

संभावित प्रभाव और परिणाम:-
भारत पर प्रभाव :- पाकिस्तान का विघटन होने पर भारत के सुरक्षा के मध्य नजर शरणार्थी संकट और आतंकवाद जैसी चुनौतियाँ बढ़ सकती हैं। वहीं पर भारत की पश्चिमी सीमाएँ अधिक स्थिर हो सकती हैं।भारत को इन नए देशों के साथ संबंध मजबूत करने का अवसर मिलेगा।
चीन और अमेरिका एवं अन्य देशों पर प्रभाव :- चीन आर्थिक निवेश CPEC (चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर) चलते हुए पाकिस्तान को एकजुट रखने का हर संभव प्रयास करेगा । अमेरिका पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहेगा और हस्तक्षेप कर सकता है। अफगानिस्तान पख्तूनिस्तान के गठन का समर्थन कर सकता है। ईरान बलूचिस्तान के मसले पर हस्तक्षेप कर सकता है।

निष्कर्ष:-
“टुकड़े-टुकड़े पाकिस्तान” अब केवल एक संभावना नहीं, बल्कि एक वास्तविकता बनने की ओर बढ़ रहा है।। पाकिस्तान में बलूचिस्तान, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा जैसे प्रांतों में अलगाववादी पाकिस्तान से अलग स्वतंत्र राष्ट्र की मांग कर रहे हैं। सिंध में भी अलगाववादी भावना बढ़ रही है। ऐसे आंदोलनों से पाकिस्तान के एक और विभाजन की संभावना बढ़ जाती है। टूटते पाकिस्तान की स्थिति एक गंभीर वैश्विक मुद्दा है जिसके लिए भारत एवं दुनिया की ताकतों को ध्यान रखना होगा।