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Dharmendra Singh

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August 9, 2025

सच दिखाने की हिम्मत

एक क्षण का सत्संग जीव को शिव से मिला सकता है, सत्संग से व्यक्ति को ज्ञान और आनंद मिलता है। जो चीज हमें प्यारी लगती है उसमें आनंद है, आनंद प्रियता में है। मनुष्य को हमेशा ऐसे सद्कार्य करना चाहिए जिससे उसे जीवनभर आनंद मिले। वर्तमान समय में मनुष्य को अपने शरीर से ज्यादा पैसा प्रिय है, शरीर के हर अंग के साथ मेरा शब्द जुडा है। मै को समझने के लिए सिद्धार्थ बुद्ध बन गए थे। परमात्मा आत्मा से भिन्न नहीं है। शरीर के मैल को साबुन हटाता है और मन के मैल को मिटाने का काम संगति करती है। गाय माता से पवित्र इस संसार में कोई नहीं है। प्रसाद हमेशा पवित्र होता है। गोमूत्र, गोबर व गाय माता की महिमा का सभी वेद पुराणों में वर्णन किया गया है। उक्त अमृत वचन राजवाडा प्रांगण में गौ भक्त राठौड समाज द्वारा आयोजित श्री गौ कृपा कथा के पांचवे दिन 31 वर्षीय गौ पर्यावरण एवं अध्यात्म चेतना पद यात्रा के प्रणेता परम गौ भक्त क्रांतिकारी संत परम श्रद्धेय श्री गोपालजी महाराज ने श्रद्धालुओं को कथा के दौरान खचाखच भरे पांडाल में कही। प्रारंभ में गुरूदेव और श्रद्धा दीदी ने गौ माता का पूजन किया। राठौड समाज अध्यक्ष किशनलाल राठौड व राठौड युवा मंच अध्यक्ष कमल राठौड ने बताया कि पूज्य गुरूदेव ने 4 दिसंबर 2012 से पद यात्रा हल्दी घाटी राजस्थान से प्रारंभ की थी, यह पदयात्रा 31 वर्ष में दो लाख पच्चीस हजार किमी की दूरी तय कर 51 हजार से भी अधिक गांवो कस्बों में गौमाता की महिमा का बखान करते हुए 4 दिसंबर 2043 को हल्दी घाटी में समाप्त होगी। उक्त पदयात्रा वर्ष के 365 दिन निरन्तर चलती है। बारिश के बीच भी श्रद्धालु डटे रहे कथा के दौरान रात्रि में अचानक तेज बारिश शुरू हो गई, इसके बावजूद भी खचाखच भरे पंडाल में गुरूदेव ने कहा कि पाप करने वाले दो प्रकार के होते है, एक ट्रेडिशनल पाप करने वाला और दूसरा अनजाने में पाप करने वाला होता है। स्नान तीन प्रकार के होते है, पहला वारम्य स्नान जिसमें हम बारिश में या नदी, तालाब में नहाते है। दूसरा अंदी स्नान इस स्नान में गाय माता के कंडे को जलाकर उसकी भस्म को शरीर पर लगाते है और तीसरा स्नान वायस स्नान इसमें गाय माता के चलने पर उडती हुई रज जो हमारे शरीर को स्पर्श करती है उसे स्नान माना गया है। गौ माता का संग करने से मन पवित्र हो जाता है व हमें आत्म ज्ञान प्राप्त करना हो तो गाय की सेवा करे और गाय की शरण में जाये। उन्होने कहा कि कृष्ण ने ब्रज में बंशी इसलिए की बजाई क्योंकि गौमाता साथ में थी जबकि द्वारकाधीश में इसलिए नहीं बजाई क्योंकि वहां गौमाता साथ में नही थी। गौ माता की सेवा करने वाला अमर हो जाता है। गाय नहीं बचेगी तो देश भी नहीं बचेगा।
पूज्य गुरूदेव ने आलीराजपुर का नाम हरिराजपुर करने का प्रयास करने का आव्हान किया व उम्मीद व्यक्त की कि भविष्य में इस नगर में एक नंदीशाला व एक सर्वसुविधायुक्त पशु चिकित्सालय बने, जिससे बीमार गौ माता का समुचित इलाज हो सके। देश में हर मनुष्य गाय की सेवा करे, गाय घर में रखने से घर के सदस्यों में प्रेम बना रहता है। गुरूदेव ने भजन मत कर माया लो अहंकार, एक था सत्य था महाराज, जिनका मुल्कों में राज तथा दरबार हजारों देखे है गौ माता जैसा दरबार नहीं, जहां होता कभी इंकार नहीं एवं गाया की खातिर खूब लडयो वो गाया को रखवालों था, वो महाराणा प्रताप थो एवं हो जाओ तैयार साथियों, हिन्दू है मेरा धर्म गौ रक्षा है मेरा करम गए तो पांडाल में मौजूद श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। इसके पूर्व गुरूदेव गोपालजी महाराज को श्री शेषशायी आचार्य मंदिर से श्रद्धालु ढोल ढमाको के साथ लाए और भव्य स्वागत किया। इसके पूर्व पूज्य साध्वी श्रद्धा गोपाल सरस्वती दीदीजी ने कहा कि महिलाएं पतिव्रता धर्म का पालन करे। समुद्र मंथन हुआ तो उसमें 14 रत्न प्रकट हुए, जिसमें एक रत्न थी कामधेनू, जैसे ही कामधेनु मैया का प्रकटीकरण हुआ उसी समय ब्रहमा जीन ने याचन बनकर कहा कि हे मैया दुध प्रकट कीजिए, मैया ने अपने आप थनो से दुध बहाना शुरू कर दिया। उन्होने जीवन में गौ माता के महत्व को विस्तार से बताया। गुरूदेव गोपालजी महाराज एवं साध्वी श्रद्धा दीदी ने मंच से श्रद्धालुओ के लिए मंगलकामना की। मंगलकामना की। जिला पंचायत सदस्य इन्दरिसंह द्वारा लाए गए आदिवासी अंचल के पारंपरिक सुज्जित तीर कमान को स्मृति चिन्ह के रूप में राठौड समाज अध्यक्ष किशनलाल राठौड ने पूज्य गुरूदेव गोपालजी को भेंट किया। मीडिया प्रभारी कृष्णकान्त बेडिया ने बताया कि आज मंच पर पूज्य गुरूदेव ने राठौड समाज के राठौड बस परिवार, रामाश्रय परिवार, योगेन्द्र रेडियो परिवार, पंचेश्वर धाम समिति, आज की नारी ग्रुप की अध्यक्ष प्रतिभा पंचोली, जोबट से आए राजेन्द्र टवली, रजनीकांत वाणी, शिवराम सक्सेना, जगदीश राठौड, खट्टाली से कृष्णकांत परवाल व राधेश्याम मालानी का दुपट्टा ओढाकर स्वागत किया। आज की आरती के मुख्य यजमान समरथमल शोभाराम राठौड थे। कार्यक्रम का संचालन राठौड युवा मंच अध्यक्ष कमल राठौड ने किया। महाआरती के पश्चात प्रसादी वितरण का कार्य गौरव अगाल व प्रसाद वितरण समिति ने किया। पंडाल को विशेष रूप से फुलो सजाया गया था।