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July 20, 2025

सच दिखाने की हिम्मत

जिला ब्यूरो आरिफ हुसैन

कोई पुराण नहीं कहता की बच्चों को सजा दो बल्कि उन्हें सीख दो। संस्कार ही हमारे व्यक्तित्व का आधार है । क्योंकि संस्कारों के बिना शिक्षा अधूरी है, यही भावी पीढ़ी हमारे जीवन में उद्धार करेगी। माता यशोदा ने भगवान कृष्ण के बाल लीला में माखन चुराने पर उन्हें मातृत्व प्रेम से उन्हें सिखाने का प्रयास किया और प्रेम की डोरी से माँ यशोदा ने भगवान कृष्ण को बांधा था। उक्त विचार राठौर परिवार द्वारा रूप तुलसी धाम असाड़पुरा में गजेंद्रसिंह राएवं श्रीमती प्रतिभा राठौर की 50 वीं स्वर्ण जयंती विवाह वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में पंचम दिवस में भागवताचार्य पं. अश्विन जी शर्मा (नागदा जं.) ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि भगवान का नाम ही हम सभी का आधार जो जीवन को तार देता हैं, किसी ताबीज और धागे में वो ताकत नहीं होती हैं, जो भगवान के नाम में होती हैं। भक्ति भाव से साधना आराधना करने से जीवन को सुख शांति व मुक्ति मिलती है। माता-पिता को परेशान नहीं करना चाहिए, उसका कल्याण नहीं होता हैं। जब-जब धर्म की हानि होती है और अधर्म को बढ़ावा मिलता है, भगवान अवतार लेकर आते हैं। कंस के अत्याचार से दुखी होकर जब भक्तों ने प्रभु को याद किया तो भक्तों के दुख दूर करने व माता देवकी और वसुदेव जी के मनोरथ पूर्ण करने लिए भगवान कृष्ण के रूप में अवतार लेकर आए। पता चलने पर कंस ने कृष्ण को मारने के लिए पूतना राक्षसी को भेजा, लेकिन भगवान कृष्ण ने पूतना का वध कर दिया, उसका विषपान भोलेनाथ ने किया। पं. अश्वीनी शर्मा ने कहा कि बृजवासियों व गोपियों के मनोरथ पूरे करने के लिए भगवान ने माखन चोरी की पावन लीला की थी। इस मौके पर माखन चोरी की सुंदर झांकी भी सजाई गई। गोवर्धन पूजा का प्रसंग सुनाते हुए आचार्य ने कहा कि एक बार इंद्र को अभिमान हो गया। इसी अभिमान को दूर करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने बृजवासियों से गिरिराज महाराज की पूजा कराई। इंद्र ने घनघोर वर्षा की पर भगवान ने अपनी अंगुली पर सात दिन और सात रात तक गिरिराज पर्वत धारण कर सभी बृजवासियों की रक्षा की और इन्द्र के अभिमान को दूर किया। रामायण के प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि लक्ष्मण जी वनवास जाने पर उर्मिला जो पतिव्रता नारी थी, राजा जनक मिथिला ले जाना चाहते किंतु उर्मिला ने इंकार कर दिया कहा कि इस समय अयोध्या में रहकर उनके परिजनों की सेवा करना ही धर्म हैं। भगवान श्रीराम व सीता मैया की सेवा लक्ष्मण जी 14 वर्ष तक सोये नहीं इसकारण से मेघनाथ का वध कर सके। संकल्प लिया है तो इस जन्म में उसको पूरा करना पड़ेगा यदि संकल्प पूरा नहीं किया तो भोगना पड़ेगा कुछ लोग संकल्प ले लेते हैं किंतु पूरा नहीं कर पाते हैं अतः उनको भोगना पड़ता है भगवान भाव के भूखे हैं भगवान को किसी प्रकार का भोग अथवा सामग्री की आवश्यकता नहीं होती है भगवान के द्वार पर जाना पड़े तो भावपूर्ण जाकर दर्शन करें जिससे हमारा उद्धार हो सके । मेहनत के फल से सफलता अवश्य मिलती है। विधि का विधान है, जो ईश्वर ने लिखा होता है, रावण को राम से मुक्ति का विधान था और कंस को कृष्ण से मरने का। पवित्र अवस्था में ही पावन नदी में स्नान करना चाहिए इस अवसर पर भागवताचार्य पं.मनोज जी शास्त्री(चाणोद) ने भी आशीर्वचन दिया, उनका मुख्य यजमान गजेंद्र सिंह राठौर एवं परिवार द्वारा स्वागत सम्मान किया गया। श्री कृष्ण एवं ग्वाल बाल के रूप में बच्चों ने स्वांग किया था। भजन द्वारिकानाथ म्हारो राजा रणछोड़ छे.. ऐने मने माया लगाडी़ रे पर भागवत प्रेमी झूम कर थिरकने लगे। आरती पश्चात 56 भोग प्रसादी वितरित की। भागवत कथा में सैकड़ों श्रद्धालुजन श्रवण कर लाभ ले रहे। इस अवसर पर असाड़ा राजपूत समाज द्वारा आयोजित श्री महाराणा प्रताप जयंती का निमंत्रण कार्ड का पदाधिकारीयों ने प्रदर्शित कर समाजजनों को कार्यक्रम में सहभागिता हेतु आव्हान किया गया।