
कांग्रेस नेता राहुल गांधी को उनकी पार्टी के संसद से राष्ट्रपति भवन तक मार्च के दौरान हिरासत में लिए जाने के करीब छह घंटे बाद दिल्ली पुलिस ने रिहा कर दिया। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। पुलिस उपायुक्त (नई दिल्ली) अमृता गुगोलथ ने कांग्रेस पार्टी नेताओं की नजरबंदी के बारे में एक सवाल के जवाब में कहा, उन्हें रिहा कर दिया गया है। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पूछताछ और संसद में महंगाई जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं होने के मद्देनजर कांग्रेस सांसदों ने संसद भवन से राष्ट्रपति भवन तक विरोध मार्च निकाला। हालांकि, जैसे ही सांसद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ज्ञापन देने के लिए आगे बढ़े, दिल्ली पुलिस ने उन्हें विजय चौक के पास बीच में ही रोक दिया। इसके बाद राहुल गांधी समेत कांग्रेस के सांसद विजय चौक के सामने धरने पर बैठ गए। प्रदर्शनकारी कांग्रेस नेताओं ने तख्तियां लिए हुए जांच एजेंसी ईडी और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
पैरा मिल्रिटी और रैपिड एक्शन फोर्स सहित भारी पुलिस बल तैनात था। पुलिस ने शुरूआत में महिला सांसदों समेत अन्य नेताओं को हिरासत में लेना शुरू किया और आखिर में दीपेंद्र सिंह हुड्डा और राहुल गांधी को वहीं छोड़ दिया गया( महिला कांग्रेस सांसदों को पुलिस कर्मियों द्वारा घसीटते हुए और एक बस में ले जाते देखा जा सकता है। दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी से बात करते हुए राहुल गांधी ने कहा, समस्या क्या है? हम राष्ट्रपति से मिलने और ज्ञापन सौंपने के लिए वहां जाना चाहते हैं। हमें अनुमति क्यों नहीं है? विजय चौक के पास से विरोध करने वाले हर नेता को हिरासत में लेने के बाद, राहुल गांधी को हिरासत में लिया गया और वहां से अन्य सांसदों के साथ एक बस में नई पुलिस लाइन किंग्सवे पुलिस कैंप ले जाया गया। विजय चौक के अलावा 24 अकबर रोड स्थित कांग्रेस पार्टी मुख्यालय के बाहर से भी सैकड़ों पार्टी कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया।
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