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June 18, 2025

सच दिखाने की हिम्मत

जिला ब्यूरो चीप भुजबल जोगी

एल.आई.सी. आपको संबंधों का कौशल सिखाकर रोजगार प्रदान करती है
शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय सागर में स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन योजना के अंतर्गत भारतीय जीवन बीमा निगम पर आधारित रोजगार कार्यक्रम डॉ. जी.एस. रोहित प्राचार्य के मार्गदशन में आयोजित किया गया। मुख्यवक्ता शाखा प्रबंधक एल.आई.सी. सतीश सप्तपुत्रे ने कहा कि बीमा जहां एक ओर किसी अनचाही अप्रिय एवं अनहोनी घटना होने पर व्यक्ति के परिवार को वित्तीय सम्बल प्रदान करती है वही दूसरी ओर घटना घटित न होने पर छोटी-छोटी बचतों को बड़ी पूंजी बनाकर बापस करता है। रोजगार की दृष्टि से विद्यार्थियों को इसमें अपार सम्भावनाऐं हैं। ग्रामीण क्षेत्र में जहां जनसंख्या पांच हजार से कम है, 10वीं पास विद्यार्थी भी एल.आई.सी. अभिकर्ता बनकर एक वर्ष में न्यूनतम 12 पॉलिसी कर लेता है तो उसे पांच हजार रुपये प्रति माह स्टाय फण्ड के अतिरिक्त कमीशन भी प्राप्त कर सकता है। जिससे अपनी पड़ाई का खर्चा वह अपने अभिभावक पर न डाल कर स्वाबलम्बी बन सकता है। विशिष्ट वक्ता विकास अधिकारी मनमोहन सिंह ने कहा कि शिक्षा प्राप्त करने के बाद विद्यार्थी की प्रथम आवश्यकता रोजगार प्राप्त करन होती है। सामान्यतः आपके पास तीन विकल्प रहते हैं एक तो आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करें दूसरे अपने पैतृक व्यवसाय से जुड़े लेकिन यदि आप यह दोनों करना नहीं चाहते है तो भारतीय जीवन बीमा नियम आपको अभिकर्ता एवं विकास अधिकारी के रूप में रोजगार उपलब्ध करा सकता है। एल.आई.सी. आपको संबंधों का कौशल सिखाकर रोजगार प्रदान करती है। सहायक विकास अधिकारी देवेन्द्र चंदेरिया ने कहा कि यदि आप अभिकर्ता के रूप में एल.आई.सी. में पंजीकृत है और एल.आई.सी. में जॉब निकलती है तो आपको उसमें प्राथमिकता की जाऐगी। एल.आई.सी. में सहायक, अधिकारी तथा विकास अधिकारी की भर्ती होती है लेकिन अनेक ऐसे उदाहरण है, जब अभिकर्ता ने इन नौकरियों में न जाकर एजेण्ट बने रहना ही पसंद किया क्योंकि उसमें अधिक लाभ मिलता है। स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन के जिला समन्वयक डॉ. अमर कुमार जैन ने बताया कि एल.आई.सी. समाज में संबंधों के कौशल को रोजगार में परिवर्तन करने की कला है, अभिकर्ता अपने स्वभाव, सेवाभाव तथा समर्पण से समाज में संबंध स्थापित करता है जो उसके रोजगार के लिऐ सहायक होता है। व्यक्ति की अकाल मृत्यु के पश्चात समाज में पूछा जाने वाला पहला प्रश्न है कि व्यक्ति का बीमा था कि नहीं जो इसकी उपयोगिता को दर्शाता है। अभिकर्ता वेदप्रकाश भट्ट ने योग के माध्यम से विद्यार्थियों की स्मरण शक्ति बढ़ाने के उपाये बताये। कार्यक्रम में 100 विद्यार्थियों सहित डॉ. संजीव दुबे, डॉ. इमराना सिद्दीकी, डॉ. संगीता मुखर्जी, डॉ. संगीता कुँभारे, डॉ. अनिल मेहरोलिया, डॉ. मनीष चौधरी उपस्थित थे। कार्यक्रम का आभार स्वामी विवेकानं योजना मार्गदर्शन प्रभारी डॉ. प्रतिभा जैन ने माना।