Chief Editor

Dharmendra Singh

Office address -: hanuman colony gole ka mandir gwalior (m.p.) Production office-:D304, 3rd floor sector 10 noida Delhi Mobile number-: 9806239561, 9425909162

June 2025
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
30  
June 19, 2025

सच दिखाने की हिम्मत

इरफ़ान अंसारी रिपोर्टर

युवा पत्रकार मोहित राजे

विनोद मिल की चाल वालों के लिए काली रात शुरू….जिस तरह से सुदामा नगर के पुराने रास्ते पर वेरीकटिंग कर फोर्स लगाया और पुलिस ने मार्च पास्ट किया उससे सुबह जेसीबी से तुड़ाई की आशंका ….

उज्जैन, वाह जटिया जी मजदूरों की राजनीति से ऊपर उठे और मुंह मोड़ लिया ….

वाह पारस जी लगातार मजदूरों के दम पर उज्जैन उत्तर से विधानसभा का चुनाव जीते और तीन बार मंत्री बने अब मजदूरों का साथ छोड़ दिया….

वाह मोहन बहुत खूब आप प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं और मुख्यमंत्री से सीधी बात कर सकते हैं उसके बावजूद विनोद मिल की चाल के रहवासियों के उजाड़े जा रहे झोपड़े पर बात करने की फुर्सत नहीं और प्रशासन मिल बस्ती क्षेत्र में मार्च पास्ट करा रहा है जिससे आहट शुरू हो गई है कि मिल मजदूरों के लिए काली रात प्रारंभ हो चुकी है

कभी भी तुढ़ाई शुरू हो सकती है इधर प्रशासन बस्ती तोड़ने पर उतारू है उधर विनोद मिल की चाल क्षेत्र में धड़ाधड़ मौतें हो रही हैl मजदूरों से मुंह का निवाला छीना तो शर्म नहीं आई ,अब सिर से छत भी उजाड़ देना चाहती है सियासत…मिल मजदूरों के सहारे राजनीति के शिखर पर पहुंचे लोग भी मौन हुए ,न्याय और अधिकार की लड़ाई के लिए कहां जाएं यह मिल झोपड़े वाले….. यह बात और आत्म पीड़ा जिसे हाय अथवा रूंधै गले से बद्दुआ कहते हैं, अब उस हर मिल मजदूर परिवार से निकल रही है जिनके मुंह के निवाले सियासत द्वारा छीन लिए गए और विगत तीन दशक से ज्यादा से मजदूर परिवार न्याय और अधिकार की लड़ाई के लिए दर-दर भटक रहे हैं lअब मिल की जमीन पर बने इन मजदूर परिवारों के झोपड़ानुमा मकानों को तोड़कर इनके सिर से छत भी छीनने के प्रयास प्रबल हो गए हैंl और यह सब कुछ तब हो रहा है जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अधिकारियों पर चीखते हुए गरीबों मजदूरों को उनकी छत मकान दिलाने की बात बकायदा मीडिया के सामने और इन मजदूर परिवारों के सामने तो कई मर्तबा कर चुके हैं l इसके बावजूद विनोद मिल क्षेत्र में बार-बार मुनादी कराई जा रही है कि 3 दिसंबर तक मकान खाली कर दें नहीं तो प्रशासन मकान तोड़ देगा l अब प्रश्न यह उठता है कि मुख्यमंत्री गरीबों और मजदूरों को मकान देना चाहते हैं ,इस संबंध में उज्जैन उत्तर के विधायक और पूर्व मंत्री पारस चंद्र जैन 3 से 4 मर्तबा मुख्यमंत्री से बात कर चुके हैंl इसके बावजूद प्रशासन किसके इशारे पर बार-बार इन मिल मजदूरों के मकान तोड़ने के नोटिस बटवा रहा है और अब तो मुनादी भी कराई जा रही है कि मकान तोड़ दिए जाएंगे lआखिर यह मिल मजदूर जाएंगे तो कहां जाएंगे? ………………….. दूसरा प्रश्न यह है कि विनोद मिल् कि जमीन 18 हेक्टेयर से अधिक है इसमें से 6 हैक्टर भूमि बेचकर मिल मजदूरों का पैसा चुकाने का निर्णय दिनांक 19 फरवरी 2020 को मध्य प्रदेश की तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने किया था तो बाद में पूरे 18 हेक्टेयर जमीन बेचने का निर्णय मंत्रिमंडल की किस बैठक में लिया गया? और पार्सल क्रमांक 1 तथा दो की भूमि के जो टेंडर निकाले गए हैं उसमें लगभग 726 रुपए स्क्वायर फीट के भाव आए हैं तो इसी भाव पर जहां श्रमिक परिवार के झोपड़े बने हुए हैं उन्हें उनकी परिसीमा की भूमि क्यों नहीं दी जा सकती? यदि यह निर्णय भी कर दिया जाए तो मिल मजदूर परिवार जैसे तैसे पैसे जुटाकर अपने झोपड़े बचा लेंगे और उनके सिर से छत भी छीन जाने का डर मिट जाएगा lयह निर्णय शासन स्तर पर तत्काल भी लिया जा सकता है लेकिन मिल मजदूरों के सहारे राजनीति के शिखर तक पहुंचे लोग इस मामले में मौन है lक्या मुख्यमंत्री और विधायक कोई बात कहे तो प्रशासन के सामने वह बात कोई मायने नहीं रखती है, यह मिल क्षेत्र में मकान खाली कराने के लिए प्रशासन द्वारा कराई जा रही मुनादी से साबित होता है lकुल 150 मकान विनोद मिल की चाल और छोटी चाल में बने हुए हैं इन मकानों का कुल क्षेत्रफल भी निकाला जाए तो 20 बाई 40 के मकानों के मान से 150 मकानों का क्षेत्रफल 1 लाख 20 हजार स्क्वायर फीट भूमिका होता है lक्या तीन दशक से ज्यादा से अपने हितों और न्याय की लड़ाई लड़ रहे रोजी-रोटी से बेकार हुए मजदूरों के सम्मान में शासन या उचित निर्णय नहीं ले सकताl यहां मिल मजदूर तो स्वयं टेंडर की दर ₹726 35 स्क्वायर फीट के भाव से अपने-अपने मकानों की राशि चुकाने को तैयार है lइसके उलट मध्य प्रदेश की वर्तमान सरकार ने एक सर्कुलर भी निकाला है जिसमें वर्ष 2018 तक जो भी मजदूर या गरीब व्यक्ति अथवा व्यवसाय शासकीय भूमि पर काबिज है उसे उस भूमि का 5% अथवा कमर्शियल रूप से उपयोग के मामलों में अधिक राशि लेकर पट्टे देने की बात कही है, जिसके आवेदन भी नगर निगम के जरिए जिला प्रशासन ने मंगाए थे तो मिल मजदूरों को विगत 50 से 60 वर्ष से का बीज विनोद मिल की जमीन के मकानों के पट्टे क्यों नहीं दिए जा सकते? यह सारे प्रश्न वर्तमान स्थितियों में उन निवाला छीन चुके मिल मजदूर परिवारों के लिए बड़े गंभीर हैं और सत्ता तथा सियासतदारो को चेताने के लिए काफी है lजब सरकार उद्योगों को बुलाकर सस्ते दर पर जमीन दे सकती है तो मजदूर परिवारों को क्यों नहीं?