


बुद्ध नाथ चौहान रिपोर्टर
आजकल पाकिस्तान से हिन्दुस्तान आई सीमा हैदर व हिन्दुस्तान से पाकिस्तान पहुँची अंजू की प्रेम कहानी के चर्चे है। कुछ लोग इसे प्यार व दीवानगी का नाम दे रहे है। कुछ इनके प्यार के सामने सरहदों व मजहब की बंदिशों के वजूद को भी कम आंक रहे है। दरअसल यह कोई प्यार/मोहब्बत नहीं है बल्कि प्यार के नाम पर गन्दी गाली है, यह गद्दारी है बेवफाई है।
प्यार की परिभाषा भारतीय नारी से पूछो! अभाव भरे जीवन में भी सात जन्मों तक उसी पति, उसी परिवार की कामना करती है। करवा-चौथ पर भी अपने पति की लम्बी आयु व सात जन्मों तक उसका साथ पाने के लिए निर्जला व्रत रखकर पुजा करती है। प्यार की परिभाषा तो एक बंदरिया से पूछो! अपने मरे हुए बच्चे को भी सीने से लगाये रहती है। प्यार की परिभाषा तो सारस जैसे पक्षी से पूछो! एक की मृत्यु होने पर दूसरा अपने प्राणों को त्याग देता है।
अपनी मस्ती के लिए गैर मर्द का आलिंगन पाने की लालसा में माता-पिता की ईज्जत, पति के सम्मान और छोटे-छोटे बच्चों की ममता का गला घोट कर सरहद पार चले जाने को प्यार का नाम देना प्यार की तोहिन है। ऐसा कृत्य इस पवित्र शब्द प्यार को कलंकित करता है। प्यार समर्पण है, प्यार ममता है, प्यार तपस्या है, प्यार निज स्वार्थ का त्याग व बलिदान है।
पाकिस्तान की सीमा हैदर यदि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी से सम्बन्धित जासूस नहीं है या हिन्दुस्तान में किसी नांपाक योजना को अंजाम देने नहीं आयी है, तो भी अपने परिवार को छोड़कर इस तरह आना सामाजिक, धार्मिक और संविधान के अनुसार अनैतिक है, अपराध है। यदि वे बच्चें सीमा हैदर के है तो कहा जा सकता है उसमें अपने बच्चों की ममता तो है।
अंजू को देखों उसने तो पाप ही पाप किया है। हिन्दुस्तान व पाकिस्तान के रिस्तों में कितनी कडवाहट है, यह सम्पूर्ण विश्व जानता है। ऐसे समय में अपना मुल्क छोकर जाना हिन्दुस्तान के साथ गद्दारी है। अपने पति को गुमराह करना, अपने परिवार को धोखा देना बेवफाई है। अपने बच्चों को जिन्हें नौ महीने तक अपने गर्भ में पाला, छोड़कर चले जाना छल है। अपनी वासना के लिए अपने ईसाई मज़हब को छोड कर इस्लाम कबूल करना ईश निन्दा है। इसके बावजूद भी यदि कोई हिन्दुस्तानी या पाकिस्तानी इनकी बेवफाई, इनके छल, इनके धोखे, इनकी गद्दारी को प्यार और वफा का नाम दे रहा है, तो निश्चित रूप से वह मानसिक रोगी है। उसे किसी अच्छे चिकित्सक से अपना उपचार करना चाहिए।
जो अपने देश, अपने मज़हब, पिता-परिवार, अपने पति और अपने मासूम बच्चों का नहीं हुआ वह किसी ओर का क्या होगा। क्या सीमा हैदर व अंजू जीवनभर नसरूल्ला व सचिन के साथ रहेगी ऐसे प्रकरणों में समाज का समर्थन, धार्मिक गुरूओं की चुप्पी और सरकार की उदासीनता चिन्ता का विषय है।
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