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Dharmendra Singh

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August 7, 2025

सच दिखाने की हिम्मत


अभिषेक नायक की खास रिपोर्ट

कटनी – स्वामी विवेकानंद शासकीय महाविद्यालय स्लीमनाबाद में मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षा के साथ स्वरोजगार स्थापित करने के लिए स्नातक स्तर के विद्यार्थियों को प्राचार्या डॉक्टर सरिता पांडे के मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण समन्वयक प्रीति नेगी के सहयोग से जैविक कृषि विशेषज्ञ रामसुख दुबे द्वारा विद्यार्थियों को जैविक खेती का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

प्रशिक्षण के क्रम में विद्यार्थियों को कम लागत तकनीकी के अंतर्गत हरी खाद एवं खलियों के निर्माण तथा फसलों में उपयोग का प्रशिक्षण दिया गया। हरी खाद के लिए दलहनी फसलों के अंतर्गत सन ढेंचा उड़द मूंग लोबिया बरसीम आदि फसलों को सिंचित अवस्था में मानसून आने के 15 से 20 दिन पूर्व तथा असिंचित अवस्था में मानसून आने के तुरंत बाद हरी खाद की फसलों के बीज बोना चाहिए। एक से डेढ़ माह की फसल को डिस्क हैरो या रोटावेटर चला कर पौधों को पलट दें तथा पाटा चलावें। खेत में 5 से 6 सेंटीमीटर पानी भरने से 8 से 10 दिन में पौधों के सड़ने से खाद बन जाती है। इसके बाद धान का रोपा लगाने से नाइट्रोजन खाद की मात्रा कम देना पड़ता है तथा सभी पोषक तत्व उपलब्ध होते हैं। तिलहनी फसलों से तेल निकालने के बाद बीजों का जो अवशेष बचा रहता है उसे खली कहते हैं। इसमें प्रोटीन कार्बाेहाइड्रेट एवं खनिज पदार्थ पाए जाते हैं। खली का उपयोग दुधारू पशुओं को देने से दूध के उत्पादन में वृद्धि तथा जैविक खाद के लिए होता है। नीम तिल सरसों महुआ अरंडी करंज अलसी एवं मूंगफली आदि फसलों की खली का उपयोग किया जाता है।