पथ संचलन में बौद्धिक कार्यक्रम में खण्ड बौद्धिक प्रमुख श्री रासपति ओझा जी द्वारा विजयादशमी उत्सव का महत्व बताते हुए कहा कि विजयादशमी उत्सव संघ के 6 प्रमुख उत्सवों में से एक है। 1925 में नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना आज ही के दिन संघ के संस्थापक श्री केशव बलिराम हेडगेवार जी द्वारा की गई ।
आज ही के दिन भगवान राम ने आसुरी शक्तियों और रावण जैसी अत्यंत नष्ट न हो सकने वाली शक्ति को साधारण सी वानर समाज के संगठन और सहयोग से नष्ट किया ।आज के दिन महाभारत काल में अर्जुन ने अज्ञातवास के बाद अपने शस्त्रों का स्वच्छ कर पूजन अर्चन किया और बुराई के रूप में स्थापित हो चुकी कौरवों को पराजित किया। तब से यह त्यौहार हिंदू समाज निरंतर मनाता चला रहा है। श्री रासपति जी ने बताया की वर्तमान में भी हमारे राष्ट्र को कमजोर करने का के उद्देश्य से विदेशी शक्तियां देश में अशांति, अस्थिरता और आतंक का वातावरण निर्मित कर रही हैं हमें उनसे संघर्ष करना होगा। संघर्ष संगठित होकर के करना होगा। राष्ट्रहित की चिंता वर्तमान में सिर्फ और सिर्फ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ही कर रहा है। इसलिए सज्जन शक्ति संघ का अधिक से अधिक सहयोग करने का जनमानस से आग्रह किया। संघ अपनी स्थापना का शताब्दी वर्ष मना रहा है।ऐसे समय में संघ ने वर्तमान में पंच परिवर्तन के रूप में पांच आयाम निर्धारित किये हैं पांच आयाम में कुटुंब प्रबोधन, स्व का भाव अर्थात स्वदेशी, सामाजिक समरसता, पर्यावरण और नागरिक कर्तव्यों को समझने और पालन करने और अपने आचरण में लाने पर जोर दिया।
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