आष्टा /किरण रांका
भगवान राम का मर्यादित जीवन अनुकरणीय है. उन्होंने अंत समय तक रावण को भी अपने कृत्य पर प्रायश्चित करने का अवसर दिया, परंतु जब रावण ने अति की तो उन्होंने अति का अंत रावण का वध करके किया। भगवान राम का संपूर्ण जीवन हमें मर्यादित रहने का संदेश देता है। विजयदशमी का पर्व हमें सिखाता है कि बुराई पर सदैव अच्छाई की जीत होती है। हमारे देश की अक्षुण्ण एवं ऐतिहासिक संस्कृति संपूर्ण मानव सभ्यता के लिए एक बेहतर उदाहरण है। उक्त आशय के उद्गार पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष कैलाश परमार ने आष्टा नगर में निकले विजयदशमी चल समारोह में पुराना दशहरा मैदान पर विजयदशमी चल समारोह के पदाधिकारीयो के सम्मान में व्यक्त करते हुए कहे। उन्होनें कहा की विजया दशमी चल समारोह के अध्यक्ष हरेन्द्र सिंह ठाकुर मेरे पारिवारिक सदस्य है। उन्होनें एवम उनकी पूरी टीम ने ऐतिहासिक विजयदशमी पर्व की तैयारी की ओर विजयदशमी पर्व को बेहतर तरीके से मनाया। पुराना दशहरा मैदान पर नगर की सदियों पुरानी रावण दहन की परंपरा को पुनर्जीवित रखने वाले पूर्व पार्षद सुभाष नामदेव, वार्ड नंबर 7 की पार्षद कु आरती नामदेव एवम अन्य पदाधिकारियों का सम्मान किया। इस अवसर पर कुशवाह समाज के जिला अध्यक्ष नरेन्द्र कुशवाह, ओम नामदेव, अशोक डुंगरे, सुनील प्रगति, अनिल धनगर, चन्द्रप्रकाश गौतम,सुरेन्द्र परमार, जितेन्द्र साहू, वीरेन्द्र परमार, आशू नामदेव,हर्ष पटेल, हुकुम कुशवाह, रवि कुशवाह, मनीष डूंगरे, मोंटी कोरी, सन्नी गौतम,निखिल कुशवाह आदि उपस्थित थे
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