हरमाड़ा दौलतपुरा विश्वकर्मा में अफीम, ब्राउन शुगर और गांजा के शिकार हो रहे युवा, परिवार हो रहा है बर्बाद……

कच्ची बस्तियों में बिक रहा नशा थाना पुलिस सो रही कुंभकरण की नींद……..
हरमाड़ा सीपी गहलोत
नयी पीढ़ी के युवा तेजी से नशे की लत का शिकार हो रहे हैं. नशाखोरी का शिकार हो चुके युवा अपने साथ ही अपने परिवार के लिए भी मुसीबत बन रहे हैं. नशे की लत में पड़कर अपनी सेहत, शोहरत, पैसा और प्रतिष्ठा तक दांव पर लगाने को तैयार हैं. नशे की लत का शिकार होने वाले सर्वाधिक युवा हैं, जिनकी उम्र 18-25 साल है. कई युवाओं की इन बुरी आदतों के चलते उनका परिवार बर्बादी की कगार पर आ गयी है. जी हां हरमाड़ा दौलतपुरा विश्वकर्मा थाना क्षेत्र कि कच्ची बस्तियों में धड़ल्ले से अफीम, ब्राउन शुगर और गांजा शराब का कारोबार हो रहा है. नशा के आदी युवा अब सड़कों पर छिनतई, लूट, चोरी और अन्य आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. लेकिन हरमाड़ा थाना पुलिस नशाखोरों के ऊपर अपना हंटर नहीं चलाती क्योंकि नशाखोर पुलिस की करते हैं जब गर्म
नशे के लिए करते हैं युवा चोरी..
युवा पीढ़ी के ऐसे अभिभावक, जो अपनी व्यापारिक व्यस्तताओं में उलझे रहते हैं, अपने बच्चों को समय नहीं दे पाते। वह कहां जाता है, किससे मिलता है, उसके मित्रों की आदतों की जानकारी लेने की चिंता नहीं करते हैं।ऐसी लापरवाही से ही युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में आती चली जाती है। गलत संगत में पड़कर नशा करने की छोटी-छोटी शुरुआत से ही धीरे-धीरे नशे की आदत उसके शरीर पर गहरी पकड़ बना लेती है। ऐसी अवस्था में नशे की भूख उसके लिए असहनीय हो जाती है, तब नशीले पदार्थों का सेवन करने के लिए अपने अभिभावकों पर पैसा लेने के लिए दबाव डालने लगता है। मना करने पर तरह-तरह की धमकियां देने लगता है। पैसा नहीं मिलने पर चोरी जैसी बुराई को अपना लेने में भी शर्म महसूस नहीं करता है।
इन थाना क्षेत्र में बिकता है नशा…….
हरमाड़ा दौलतपुरा विश्वकर्मा थाना इलाकों में चरस, अफीम स्मैक कारोबार पैर पसार चुका है, जिसकी चपेट में सर्वाधिक युवा वर्ग रहा है। अवैध कारोबार को फैलाने के लिए माफिया स्कूल के आसपास नशे का सामान बेचवा रहे हैं। स्कूल में पढ़ने वाले भोले-भाले युवकों को फंसाकर नशे की आदत डाल रहे हैं। एक बार जो युवा नशे की जकड़ में गया, फिर बाहर निकलना असंभव है। इन थाना इलाकों में नशे का कारोबार खूब फल-फूल रहा है। पुलिस को भी जानकारी है, मगर पुलिस अफसर खामोश रहने में ही अपना फायदा समझते है। तभी तो नशीले पदार्थ दूसरे राज्यों से लाकर माफिया यहा खपा रहे हैं। स्कूल-कॉलेज के आसपास छोटी-छोटी दुकानों में खुलेआम नशे का सामान बिक रहा है। स्कूल ड्रेस में बच्चे उन दुकानों पर सिगरेट पीते दिखते हैं, मगर कोई कुछ नहीं कहता। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो आने वाले कुछ वर्षों में युवाओं की बड़ी फौज को नशा जकड़ चुका होगा।
हरमाड़ा दौलतपुरा विश्वकर्मा में अफीम, ब्राउन शुगर और गांजा के शिकार हो रहे युवा, परिवार हो रहा है बर्बाद……
कच्ची बस्तियों में बिक रहा नशा थाना पुलिस सो रही कुंभकरण की नींद……..
हरमाड़ा सीपी गहलोत
नयी पीढ़ी के युवा तेजी से नशे की लत का शिकार हो रहे हैं. नशाखोरी का शिकार हो चुके युवा अपने साथ ही अपने परिवार के लिए भी मुसीबत बन रहे हैं. नशे की लत में पड़कर अपनी सेहत, शोहरत, पैसा और प्रतिष्ठा तक दांव पर लगाने को तैयार हैं. नशे की लत का शिकार होने वाले सर्वाधिक युवा हैं, जिनकी उम्र 18-25 साल है. कई युवाओं की इन बुरी आदतों के चलते उनका परिवार बर्बादी की कगार पर आ गयी है. जी हां हरमाड़ा दौलतपुरा विश्वकर्मा थाना क्षेत्र कि कच्ची बस्तियों में धड़ल्ले से अफीम, ब्राउन शुगर और गांजा शराब का कारोबार हो रहा है. नशा के आदी युवा अब सड़कों पर छिनतई, लूट, चोरी और अन्य आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. लेकिन हरमाड़ा थाना पुलिस नशाखोरों के ऊपर अपना हंटर नहीं चलाती क्योंकि नशाखोर पुलिस की करते हैं जब गर्म
नशे के लिए करते हैं युवा चोरी..
युवा पीढ़ी के ऐसे अभिभावक, जो अपनी व्यापारिक व्यस्तताओं में उलझे रहते हैं, अपने बच्चों को समय नहीं दे पाते। वह कहां जाता है, किससे मिलता है, उसके मित्रों की आदतों की जानकारी लेने की चिंता नहीं करते हैं।ऐसी लापरवाही से ही युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में आती चली जाती है। गलत संगत में पड़कर नशा करने की छोटी-छोटी शुरुआत से ही धीरे-धीरे नशे की आदत उसके शरीर पर गहरी पकड़ बना लेती है। ऐसी अवस्था में नशे की भूख उसके लिए असहनीय हो जाती है, तब नशीले पदार्थों का सेवन करने के लिए अपने अभिभावकों पर पैसा लेने के लिए दबाव डालने लगता है। मना करने पर तरह-तरह की धमकियां देने लगता है। पैसा नहीं मिलने पर चोरी जैसी बुराई को अपना लेने में भी शर्म महसूस नहीं करता है।
इन थाना क्षेत्र में बिकता है नशा…….
हरमाड़ा दौलतपुरा विश्वकर्मा थाना इलाकों में चरस, अफीम स्मैक कारोबार पैर पसार चुका है, जिसकी चपेट में सर्वाधिक युवा वर्ग रहा है। अवैध कारोबार को फैलाने के लिए माफिया स्कूल के आसपास नशे का सामान बेचवा रहे हैं। स्कूल में पढ़ने वाले भोले-भाले युवकों को फंसाकर नशे की आदत डाल रहे हैं। एक बार जो युवा नशे की जकड़ में गया, फिर बाहर निकलना असंभव है। इन थाना इलाकों में नशे का कारोबार खूब फल-फूल रहा है। पुलिस को भी जानकारी है, मगर पुलिस अफसर खामोश रहने में ही अपना फायदा समझते है। तभी तो नशीले पदार्थ दूसरे राज्यों से लाकर माफिया यहा खपा रहे हैं। स्कूल-कॉलेज के आसपास छोटी-छोटी दुकानों में खुलेआम नशे का सामान बिक रहा है। स्कूल ड्रेस में बच्चे उन दुकानों पर सिगरेट पीते दिखते हैं, मगर कोई कुछ नहीं कहता। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो आने वाले कुछ वर्षों में युवाओं की बड़ी फौज को नशा जकड़ चुका होगा।

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