भूला और टिकरिया में रात-दिन बॉक्साइट की लूट, अफसरों की चुप्पी ने खोली सिस्टम की पोल
कटनी। स्लीमनाबाद तहसील क्षेत्र के भूला और टिकरिया में बॉक्साइट का अवैध खनन दिन नहीं, रात नहीं—लगातार चल रहा है, लेकिन हैरानी नहीं, शर्म की बात यह है कि पूरा प्रशासन आंखों पर पट्टी बांधे बैठा है। मौके का मुआयना बताता है कि यहां से हजारों हाइवा बॉक्साइट चोरी-छिपे नहीं, बल्कि खुलेआम निकाला जा चुका है।
यह खनन किसी अंधेरे कोने में नहीं, बल्कि शासकीय भूमि पर भारी मशीनों के साथ हुआ है। इसके बावजूद हल्का पटवारी और आरआई की भूमिका सीधे तौर पर संदिग्ध है। सवाल सीधा है—इतना बड़ा खेल क्या इन्हें दिखाई नहीं दिया, या फिर जानबूझकर नजरअंदाज किया गया?
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि थाना पुलिस पूरी तरह मौन साधे हुए है। पुलिस की मौजूदगी में हाइवा वाहन सड़कों पर दौड़ते रहे, लेकिन न जांच हुई, न कार्रवाई। यह चुप्पी अब केवल लापरवाही नहीं, बल्कि संरक्षण का संकेत देती है।
मामले में नायब तहसीलदार, तहसीलदार और अनुविभागीय अधिकारी (SDM) भी कठघरे में हैं। खनिज अधिनियम उन्हें कार्रवाई का पूरा अधिकार देता है, फिर भी महीनों से कोई कदम नहीं उठाया गया। क्या प्रशासन ने जानबूझकर माफियाओं को खुली छूट दे रखी है?
उधर खनिज निरीक्षक और खनिज अधिकारी तो मानो इस पूरे अवैध कारोबार के मौन भागीदार बन बैठे हैं। न निरीक्षण, न जप्ती, न प्रकरण—सिर्फ फाइलों में खामोशी।
इस अवैध खनन से शासन को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है, जबकि किसानों की जमीन तबाह, पर्यावरण बर्बाद और गांवों की सड़कें छलनी हो चुकी हैं। इसके बावजूद जिम्मेदार अफसरों का रवैया बेहद गैर-जिम्मेदार और संदिग्ध बना हुआ है।
अब सवाल यह नहीं कि अवैध खनन हुआ या नहीं—
सवाल यह है कि इतने बड़े स्तर पर खनन बिना प्रशासनिक मिलीभगत के कैसे संभव हुआ?
अगर अब भी कठोर कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मामला सिर्फ खनन माफिया का नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की साख पर सीधा हमला साबित होगा।

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