देख सुदामा की दीन दसा,करूणा कर करूणा निधि रोये,,पानी की परात को हाथ छुओ नहीं,न्यनन के जल से पग धोये,,,,
पोरसा,,,,,,,,,
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,, देख सुदामा की दीन दशा, करुणा कर करूणा निधि रोये, पानी की परात को हाथ छुओ नहीं, नैनन के जल से पग धोए,,, भगवान श्री कृष्ण जी ने अपने बाल सखा सुदामा जी को हर सुख प्रधान किया, यदि मानव मन से भगवान को याद करें तो भगवान सुदामा की तरह हर व्यक्ति को मन चाहा फल प्रदान करते हैं और करेंगे, महंत रामकिशोर दास शास्त्री,,,,,,,,
शीतला माता मंदिर सांठो में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में महंत रामकिशोर दास शास्त्री ने आज सुदामा चरित्र की कथा विस्तारपूर्वक भक्तों को बताई,
- कहा कि आज का भक्त स्वार्थी और मतलबी है , मंदिर में सेवा पूजा बाद में करता है, भगवान के संमुख अपनी तमन्नाओं की लंम्बी सूची देकर कहता है कि मेरे पुत्र की शादी एक धनबान के घर से करबा दे तो में मंदिर में एक धंटा उठाऊंगा,,,मेरी दुकानदारी बड़ा दे तो तुम पर प्रसाद चढाऊगां आदि लम्बी सूची प्रस्तुत कर कहता है कि भगवान में तुम्हारा बेटा हूं मेरी लाज रखो,,,,,श्री शास्त्री ने आगे बताया कि भगवान आज के कलयुगी मनुष्य की भाषा को पहचानते हैं, और उसे उसी के कर्मों के अनुसार उसे फल प्रधान करते हैं,,,,,, इसलिए मनुष्य को चाहिए कि वह भगवान को सेवा व पूजा करके भगवान को खुश कर लेगा तो उसे भगवान बिना मांगे सब कुछ दे देंगे,,,,,,,,
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