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Dharmendra Singh

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August 9, 2025

सच दिखाने की हिम्मत

खंडवा में 11 साल की यागिनी बनी पुलिस : एक्सीडेंट में पुलिसकर्मी पिता , कोरोना में शिक्षक मां को खो चुकी ; आरआई से पूछा अंकल … पापा भी ऐसे ही काम करते थे।

खंडवा में 11 साल की यागिनी बनी पुलिस : एक्सीडेंट में पुलिसकर्मी पिता , कोरोना में शिक्षक मां को खो चुकी ; आरआई से पूछा अंकल … पापा भी ऐसे ही काम करते थे।

11 साल की एक मासूम बच्ची ने खंडवा में आरक्षक का चार्ज लिया है । एक दिन की आरक्षक बनकर उसने पुलिस लाइन में कामकाज संभाला । असल में बच्ची बाल आरक्षक के रूप में ज्वाइन हुई है । उसके पिता मूंदी थाने में पदस्थ थे । सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई थी । वहीं मां की कोरोना से मौत हो गई । शुक्रवार को जब बच्ची पिता की कुर्सी पर बैठी तो उनकी याद में उसकी आंखों से आंसू छलक गए । आरआई पुरुषोत्तम विश्नोई ने बताया हरसूद में रहने वाली 11 वर्षीय यागिनी चौहान बाल आरक्षक के रूप में आमद देने खंडवा पुलिस लाइन अपने मामा के साथ आई । उसने पिता ओमप्रकाश चौहान की तरह कुर्सी पर बैठकर कार्य भाल संभाला । इस दौरान यागिनी को पूरे कार्यालय का दौरा भी करवाया ।

यागिनी जब कुर्सी पर बैठी और ऑफिस देख रही थी तो उसकी आंखों से आंसू छलक गए । यह देख बच्ची को विश्नोई ने उसके सिर पर हाथ रखकर उसे मोटिवेट किया । यागिनी पिता को याद करते हुए बस यही बोल पाई कि मेरे पापा भी ऐसे ही काम करते थे न अंकल । उसकी यह बात सुन आरआई का भी गला रूंध हो गया ।

नाना – नानी के घर रहकर पढ़ेगी , मिलेगा आरक्षक का वेतन आरआई ने बताया जब यागिनी दफ्तर आई तो मैंने उसे एक अधिकारी की तरह ट्रीट किया । जिससे उसके मन में पुलिस की छवि अच्छी बने और वह बड़ी होकर पुलिस अधिकारी बनने की ठाने । वह जब तक बालिग नहीं होगी नाना – नानी के घर रहकर पढ़ाई करेगी और फिर 18 साल की उम्र पूरी होने पर आरक्षक के रूप में सेवा देगी । तब तक उसे आरक्षक का वेतन मिलेगा । पिता नोटिस तामील करने गए तो नहीं लौटे , मां को कोरोना लील गया यागिनी पांचवीं की छात्रा है । फिलहाल वह हरसूद में नाना शिवप्रसाद काजले के साथ रह रही है । काजले ने बताया कि यागिनी के पिता ओमप्रकाश आरक्षक थे और मूंदी थाने पर उनकी पोस्टिंग थी । वह 2015 में संदलपुर एक नोटिस तामील करवाने गए थे । एक्सीडेंट में उनकी मौत हो गई । 12 अप्रैल 2021 में मां बबीता की कोरोना से मौत हो गई । बबीता शिक्षिका थी ।।।

शेख़ आसिफ़ खंडवा