मेहगांव-अखिल कौटि ब्रह्मांड नायक परब्रह्म मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम पवनसुत हनुमंत लाल जी की अशीम अनुकंपा से प्रति बर्ष की भांति संत सतसंग सम्मेलन खैरापति सरकार मंदिर ग्राम मेहदौली के तत्वावधान मे सनातन धर्म सम्मेलन स्वरूप सानंद दि0 26/27/28/ जनवरी को श्री श्री 1008 रामदास महाराज दंदरौआ धाम,
श्री श्री 1008 रामभूषणदास महाराज खनैता,
श्री श्री 1008 हरिदास महाराज जडैरूआ,
श्री श्री 1008 कमलदास महाराज टीकरी, के सानिध्य मे
प्रारंभ होकर आज त्रतीय दिवस पर मंचासीन श्री श्री 1008 रामशरण दास जी महाराज प्रज्ञाचक्षु (ब्रंदावन) श्री श्री 1008 श्रीसीताराम जी महाराज (ब्रंदावन)
पं0 हैवरन शास्त्री , साध्वी श्रीक्रष्ण देवी रामायणी, कुंजबिहारी बरुआ,
मंच संचालक पं0 बासुदेव शास्त्री लालपुरा वाले,
आज त्रितीय दिवस के कार्यक्रम का शुभारंभ श्री श्री 1008 रामभूषणदास महाराज खनैता व्दारा हुआ साथ ही चरनदास महाराज को खैरापति मंदिर के पूजा अर्चन व्यवस्था की जिम्मेदारी सोपी,
कार्यक्रम के समापन पर दंदरौआ महाराज व्दारा आरती के साथ आर्शीवाद दिया ,
मंच से बोलते हुऐ संत समाज ने कहा कि…
रामराज्य स्थापना व कल्पना करना भाई भरत के बिना सदैव अधूरी या मात्र कल्पना ही कहा जा सकता हे,
घर परिवार समाज राष्ट्र को रामराज्य की अवधारणा से परिपूर्णता की सार्थकता सिद्ध होती है या होगी उसके लिये भाई भरत को सबसे श्रेष्ठता का हेतु बनाना आवश्यक होगा,
आज के परिवेश मे भाई भाई के अनिष्ट या दवाने कमजोर करने या बनाऐ रखने के अनैको अनेक छल कपट संडयंत्र रचने का उपक्रम करके स्वयं को बडा या महान बनाने का कितना भी प्रयोजन किया जाय मगर नतीजा निश्फल ही होगा,
जिस समय भरत जैसे भाई के प्राकट्य होते ही ….सब ओर कुशल मंगल सुख सम्रधी स्वतः ही प्रकट हैने लगती हे,
आज का भाई सत्ता एंव धन वैभव प्राप्ति करने के लिए भाई का अनिष्ट करने के उपक्रम करने को आगे बढ सकता है,
पर जब हम श्री राम के जीवन के बारे मे देखते और सुनते हैं तो समझ में आता है,
एक भाई ऐसा भी है जिन्हें हम प्रेम से भाई भरत कहते हैं,
जो अपने भाई की चरण पादुका को चित्रकूट से अपने सर पर रखकर अयोध्या लाकर पूजा करते हुऐ जीवन सत्य पथ पर खडे होकर धर्म और भ्रात प्रेम की अविरल सुरसरि की धारा बन जाते है,
एक भैया ऐसा है जिन्है लक्ष्मण कहते हैं जो सुबह से शाम तक केवल भगवान श्री राम की सेवा में ही लगे रहते हैं एक भाई ऐसे हैं जो केवल अपने भाइयों की सेवा करते हैं और मोन रहते हैं उनका नाम शत्रुघ्न है आज के परिवेश मे यह सब विलुप्त सा प्रतीत होता है,
उसी का परिणाम है घर-घर में अमं,गल पैर पसारते जा रहा है,
आइए हम सब पुनः अपने मूल सनातन धर्म के प्रति आगे बढे और प्रभु श्री राम जी के जीवन और परिवार से सीखे भरत और लक्ष्मण बनने की कोशिश करें तभी वास्तव में हम आदर्श परिवार समाज और राष्ट्र की कल्पना कर सकते हैं उसी को राम राज्य कहा जाता है।
गिरजेश पचौरी पत्रकार मेहगांव मो.9926264754
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