बुद्धनाथ चौहान रिपोर्टर
तिनसई में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में बोले शुभम कृष्ण शास्त्री जी क्षमा निर्मल जल के समान होता है

उमरेठ तहसील की ग्राम पंचायत चारगांव के ग्राम तिनसई में चल रही श्रीमद् भागवत कथा वाचक श्री शुभम कृष्ण शास्त्री जी बहुत ही सरल और सुलभ स्वभाव में कहा की क्षमा मनुष्य की शोभा रूप से है रूप की शोभा गुण से है उनकी शोभा ज्ञान से है और ज्ञान की शोभा क्षमा से है क्षमा वह शब्द है जो सज्जन को संत और आत्मा का स्वभाव है जिस प्रकार जल का स्वभाव शीतलता से होता है उसी प्रकार अग्नि का स्वभाव उष्णता है शक्कर का स्वभाव मीठा पन है और नमक का स्वभाव खारापन है उसी प्रकार आत्मा का स्वभाव क्षमापन है किसी व्यक्ति के द्वारा मन वचन और आया से बिना कारण ही किसी व्यक्ति को पीड़ा पहुंचाने पर या गाली देने पर अथवा अभद्र व्यवहार करने पर उसके लिए प्रतिकार तिरस्कार करने की शक्ति होने पर भी अत्यंत शांति एवं समता पूर्वक उस कष्ट को सहन लेना और किसी भी प्रकार का प्रतिकार नहीं करना ही क्षमा होता है क्षमा वीरो का आभूषण है क्षमा निर्मल जल के समान है जो कि विरोधियों को क्रोध रूपी अग्नि को शांत कर देती है वह एक शब्द ऐसा अद्भुत है जिससे देने वाला और लेने वाला दोनों ही सुखी हो जाते हैं किंतु क्षमा धारी व्यक्ति ही संसार में संकटों पर विजय प्राप्त कर मान सम्मान और प्रतिष्ठा यश और कीर्ति प्राप्त कर सकता है क्षमा से इंद्र लोक और परलोक दोनों स्थान को प्राप्त करते हैं पंडित शुभम कृष्ण शास्त्री कहते हैं की क्रोध जीतने की आसान सी चाबी है हमेशा धीरज व धैर्य बनाए रखें और मीठा बोलने की कोशिश करें यथासंभव लोगों की मदद करें गलती होने पर भी दूसरों को क्षमा करें यही सभी श्रद्धालु भक्तगण अपनी आदत में कथा का वाचन करते हुए अपने स्वभाव में लाएं और अपने जीवन में उतारे अर्थात मनुष्य गलती का पुतला होता है हम सभी से गलती तो होती ही रहती है किंतु धर्म और कर्म ही ऊपर जाएगा श्रीमद् भागवत कथा बड़ी संख्या में क्षेत्र के लोग कथा का श्रवण कर रहे हैं
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