फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर हथियाली नौकरी

(सत्य की खोज)
सतना- आज हमारी सत्य की खोज ने 32 सालों से बीज निगम सतना में क्षेत्रीय प्रबंधक के पद पर पदस्थ लाल सिंह के फर्जीवाड़े पर पहुंची है।
लाल सिंह का मूलतः छिरौना ब्लॉक चिरगांव तहसील मोठ जिला झांसी उत्तर प्रदेश का है मूल निवासी है।
इनके पिता जी का नाम स्वर्गीय गुंठे प्रसाद है।
लाल सिंह के द्वारा शासकीय नौकरी पाने के लालच में इन्होंने कूट रचित दस्तावेज तैयार कर फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर मध्य प्रदेश राज्य बीज एवं फार्म विकास निगम के विशेष भर्ती अभियान में सरकारी नौकरी हथियाली।
अपने रसूख और पैसे के दम पर अपने ऊपर चल रही विभागीय जांच को 32 सालों से दबाता चला आ रहा है।
लाल सिंह ने जनवरी 1990 में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर उत्पादन सहायक के पद पर नौकरी हासिल की और जनवरी 2003 में तत्कालीन प्रबंधक संचालक श्री एम गोपाल रेड्डी ने बिना जाति प्रमाण पत्र के आधार पर सहायक प्रबंधक के पद पर नियुक्ति कर दी इसके 9 माह बाद स्थाई जाति प्रमाण पत्र काट छांट कर निगम मुख्यालय में अगस्त 2003 में पेश किया था।
उक्त दोनों जाति प्रमण पत्र का सत्यापन जिला अध्यक्ष ग्वालियर द्वारा नहीं किया गया लाल सिंह के द्वारा अपना नाम वोटर लिस्ट में ग्राम छिरौना तहसील मोठ जिला झांसी उत्तर प्रदेश भोपाल मध्य प्रदेश एवं ग्वालियर मध्य प्रदेश में भी जुड़वा रखा है जो अपने आप में भी एक धोखाधड़ी ही है। लाल सिंह ने भ्रष्टाचार के भी कई रिकॉर्ड तोड़े हैं। चाहे इनकी पदस्थापना गोविंदपुरा, भोपाल, मंदसौर ,खंडवा, पौड़ी अनूपपुर एवं वर्तमान में प्रभारी क्षेत्र प्रबंधक के पद पर पदस्थ रहते हुए प्रक्षेत्र रेवरा जिला सतना में रबि 2020-21 में 26लाख रुपए की हेराफेरी कराई गई।
जिसकी जांच रिपोर्ट मुख्यालय भोपाल में प्रस्तुत हो चुकी है।
इन्होंने प्रक्षेत्र पौड़ी एवं सिंदूरखार जिला अनूपपुर में रबि वर्ष 2020-21 में 80 लाख रुपए के बीजों की हेरा फेरी की गई है।
शिवराज सिंह के राज में ऐसा अनर्थ क्यों-
कूट रचित दस्तावेजों में महारत हासिल कर चुके लाल सिंह पर आखिर जिम्मेदार अधिकारी किस बात का संरक्षण दे रहे हैं जबकि राज्य बीज एवं फ्रॉम विकास निगम के सचिव द्वारा बिंदुवार की गई जांच में दोष सिद्ध हो गया है एवं पत्र क्रमांक एचओ/प्रशा/शिका/2017/3109 दिनांक 7/11/2017 एवं 06/10/2018 को जारी पत्र मैं फर्जी निवास एवं जाति प्रमाण पत्र के आधार पर पाई गई नियुक्ति को अवैध मानकर सेवा से पृथक किया जाने की बात कही गई है।
लेकिन कूट रचित दस्तावेजों के अपराधी जिन पर भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत यदि कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार की धोखेबाज़ी करते हुए पकड़ा जाता है जिसमें किसी भी प्रकार के नकली दस्तावेज तैयार करके लगाएं जाते हैं और सरकारी नौकरी प्राप्त की जाती है तो सेक्शन 466, 468, 471.
साथ ही साथ सेक्शन 420 भारतीय दंड संहिता के तहत कार्यवाही किए जाने का प्रावधान नियत है। लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सुशासन पर निगम मंडल के सचिव व जांच अधिकारी पूरी तरह सरकार की आंख में धूल झोंकने का काम कर रहे।
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