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Dharmendra Singh

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August 9, 2025

सच दिखाने की हिम्मत

किरण रांका रिपोर्टर


आष्टा/मै सौलह तारीख को अत्यधिक भीडभाड होने के कारण काफी ड्यूटी करने के बाद थककर अस्थाई बस स्टेण्ड के चैराहे पर अपनी सरकारी गाडी मे कुछ पल आराम करने के लिये बैठा था तभी एक बूढी महिला जिसकी उम्र करीब 60 साल की होगी, वह मैरे पास आई और बोली कि मैरी बेटी और बेटी जमाई नही मिल रहे है, खो गए है । मै भी थका हुआ था मै गाडी मे बैठा हुआ था वह सामने दरवाजे के पास खडी हुई थी, मैने साधारण सा जवाब दिया कि मिल जाएंगे अम्मा जी इधर उधर तलाश कर लो । वह महिला महाराष्ट्र से थी, उसकी बोली से लग रहा था कि वह पुलिस से बात करने मे भी ढर रही थी, और बहुत ही सीधी साधी थी। उसने अपने को नांदुरबार के पास किसी गाॅव का होना बताया था । मैरे कहने पर वह वहाॅ से चली गई लेकिन थोडी ही देर मे वापस आकर बोली मुझे मैरी बेटी और साथी नही मिल रहे है, शायद मैरे द्वारा उससे प्रेमपूर्वक बातचीत करने से उसे यह अहसास और विश्वास हो गया था कि यह पुलिस वाला मैरी मदद कर सकता है और इसीलिये वह डरते हुए फिर से मैरे पास वापस आई थी । और रोने लगी तो मैने उस महिला से पूछा आपकी बेटी का मोबाईल नंबर है क्या आपके पास तो उसने कहा नही है फिर मैने कहा कि आपका सामान कहाॅ है अम्मा तो वह बोली उन्ही के पास रह गया, फिर मैने पूछा अम्मा आपके पास कुछ ओढने के लिये है कि नही क्योंकि उस समय रात मे ठंड लगना शुरू हो रही थी, तो वह महिला बोली कि ओढने के लिये भी मैरे पास कुछ नही है । तो मैने उस महिला से पूछा कि आपके पास कितने रूपये है तो उसने ब्लाउज से अपना बटुवा निकाला और उसमे रखे दो 50 के नोट मुझे दिखाए और रोने लगी । मैने सोंचा इस बुढी अम्मा की कोई व्यवस्था नही की तो यह रात मे ही मर सकती है । तो मैने उस महिला से कहा कि अम्मा तुम्हे पुलिस थाना पर छुडवा देते है वहाॅ पर तुम्हारे खाने और सोने की व्यवस्था हो जाएगी, तो वह बोली नही मैरी बेटी मुझे यहाॅ तलाश कर रही होगी मै कहीं नही जाउंगी तो मैने कहा कि मै तुम्हे नांदुरबार की गाडी मे बिठवा देता हॅू ताकि तुम सीधे नांदुरबार पहुॅच जाओं और वहाॅ से अपनी बच्ची से संपर्क करके उसे भी बुला लेना, तो वह सीधी साधी महिला बोली -नही मैरी बेटी मैरे लिये यहाॅ इंतजार कर रही होगी वह परेशान हो जाएगी। तो मैने कहा कि मै ट्रेन से छुडवा देता हॅू यदि आपको गाडी वाले से डर है या विश्वास नही है तो भी वह राजी नही हुई । फिर मैने कहा अम्मा मैरी ड्यूटी का कोई समय नही है कब तक चलेगी नही तो मै तुम्हे अपने थाने पर ले जाता और वहाॅ से तुम्हारी नांदुरबार जाने की व्यवस्था कर देता तो भी वह राजी नही हुई और रोती रही । फिर मैने सोंचा अब क्या करूं इसके पास ना तो कोई ओढने की सामग्री है ना खाने पीने की और ना रूपये है । तो मैने उस महिला को एक चिट्ठी लिखकर दी एक छोटे से कागज पर जिस पर मैने लिखा- यह महिला जब आप किसी पुलिस वाले से सहयोग हेतु मिले तो मुझ टीआई आष्टा को सेट पर काॅल करें या मैरे नंबर 9926619079 या 9479990899 पर काॅल करें, इन्हे इनके निवास पर पहुॅचाने मे सहयोग करना है । पुष्पेन्द्र ंिसह टीआई आष्टा’’ और मैने उस महिला को वह चिट्ठी दी साथ ही 500रू दिये और कहा कि अम्मा इन 500रू मे से 200रू का कंबल कुबरेश्वर धाम पर एक जगह मिल रहा है वहाॅ से ले लेना और 300 रू मे खाना खाकर अपनी रात गुजार लेना और यदि तुम्हारी बेटी तुम्हे कल तक नही मिलती है तो परेशान मत होना और सुबह यह चिट्ठी जो मैने तुम्हे दी है यह किसी पुलिस वाले के हाथ मे ही देना ताकि वह तुम्हारे बारे मे मुझे सूचित कर सके और मै तुम्हारी नांदुरबार जाने की व्यवस्था कर सकूं। तो वह अम्मा मुझसे रूपये नही ले रही थी फिर मैने जबरदस्ती उसे रूपये दिये और उस अम्मा को ढंाढस बंधाया । फिर मे रात मे यातायात व्यवस्था बनाने मे लग गया और अगले दिन भी मै अपनी ड्यूटी करने लग गया और उस अम्मा के बारे मे ज्यादा नही सेंाचा । केवल सोंचा कि जाने क्या हुआ होगा उसका । क्योंकि उसका कोई फोन नही आया। कुबरेश्वर धाम मे नेटवर्क जाम चल रहा था, फिर रात को करीब 1100 बजे जब मै ड्यूटी पूरी करके आष्टा की ओर आया तो मैरे मोबाईल में नेटवर्क आया तो मुझे एक अंजान नंबर से कई काॅल थी उसी नंबर के वाट्स एप मैसेज भी थे जिसमे उस बुढी अम्मा को फोटो था और नाम पता की जानकारी और लिखा था कि ’’सर जी आपका बहुत शुक्रगुजार हॅू। आपके सहयोग कारण हमारी माताजी सुखरूप घर लौट आई है ’’ साथ ही मैरे द्वारा दिये गए 500 रू उन्होन मुझे आॅन लाईन भी देकर उसका भी स्क्रीन शाॅट वाट्स एप किया था । तो मैने उस नंबर पर फोन लगाया। फोन अनिल सोनवने जो बूढी अम्मा का लडका था उसने उठाया और मुझे बताया कि हमारी माताजी घर पर लोैट आई है आपका बहुत बहुत शुक्रिया तो मैने कहा भई मुझे रूपये देने की इतनी जल्दी क्या थी मैने थोडे ही आपसे रूपये मांगे थे तो उन्होने कहा कि साहब आपको तो लाखों रूपये भी दें तो कम है क्योंकि हमारी माता जी उंचा सुनती है पढी लिखी नही है लेकिन आपकी चिट्ठी मात्र से वह हमारे गाॅव पहुॅच गई । मैने पूछा पूरी घटना कैसे घटी तो उन्होने बताया कि आप से मिलने के बाद अम्मा ने रात कुबरेश्वर मे ही गुजारी फिर अगले दिन भी मैरी बहन नही मिली तो अम्मा बस मै मैरे द्वारा दी गई चिट्ठी को दिखाते हुए नांदुरबार आ गई और वहाॅ से अपने गाॅव भी चिट्ठी दिखाते हुए ही आ गई । उन्होने यह भी बताया कि केवल उस चिट्ठी के कारण उन्हे कहीं भी कोई परेशानी नही हुई किसी ने रूपया नही लिया और सभी ने अम्मा को घर पर पहॅुचाने मे मदद करी । हम दोनो की बातचीत मे अम्मा के लडके ने कहा कि आप कभी भी इधर आएं तो हमारे यहाॅ जरूर जरूर आना पूरे परिवार सहित हम आपका इंतजार करेंगे और मै भी आपसे मिलने आष्टा जरूर आउंगा । हमारी बातचीत ऐसे होने लगी जैसे हम काफी समय से एक दूसरे से परिचित है । मुझे ऐसा लगा मानो मै कुबरेश्वर धाम मे जो श्रद्धालुओं की सेवा कर पुण्य कमाना चाहता था वह मैने कमा लिया । ऐसा भी लगा कि मैने इस काम से भगवान को खुश कर दिया। मै तभी यह भी सोंचने लगा कि आज भी भारत मे ऐसे भी लोग है तो एक पुराने से कागज पर लिखी चंद लाईनों को देखकर एक बूढी महिला की हर संभव मदद करने को राजी हो जाते है । जय हिंद