लोकेशन /सागर
दिनांक 16/03/23
ब्यूरो चीप भुजबल जोगी
आज के बच्चे पूछते हैं ।
आखिर सत्य क्या देता है?
सत्य का पहला फल है, धन की प्राप्ति। धन की कामना सभी को है। अधिकांशत: धन के मूल में लोभ रहता है। अति महत्वाकांक्षा, वासनाएं ये सब लोभ के बायप्रॉडक्ट हैं। लोभ भविष्य पर निशाना रखता है।
कल जो आने वाला है । उसके लिए लोभ मनुष्य को लगभग बीमार जैसा कर देता है लेकिन जीवन में जिसने सत्य जान लिया उसका भविष्य, आने वाला कल, संवर जाता है।
दूसरा फल है, बंधन मुक्ति। सम्पत्ति और परिवार छोडऩे से बंधन मुक्ति नहीं आएगी। असल में एक सम्पत्ति हमारे भीतर है जो हमें जन्म से परमात्मा ने दी है। हम उसे भूल गए हैं।
यह वह दौलत है जो जन्म से पहले हमारे साथ भी और मृत्यु के बाद भी हमारे साथ रहेगी। यह हमारी निजी धरोहर है, रत्तीभर भी उधार नहीं। इसको कहते हैं जो हमारा अपना होना है हमारी आत्मा।
तीसरा फल है भय मुक्त होना। बड़े-बड़े साधन होने के बाद भी आदमी भयभीत है। बड़ी सुरक्षा व्यवस्था है, बहुत धन है, बहुत बाहुबल है, बहुत लोग हैं साथ में उनके, इसके बाद भी आदमी भयभीत है। हमें निर्भय कोई नहीं कर सकता दुनिया में।
धन के साथ यदि सत्य है तो ही हम निर्भय हो सकेंगे। चौथा फल है वैकुण्ठ की प्राप्ति होना। वैकुण्ठ का अर्थ है जहाँ हम पूरी तरह परमात्मा को समर्पित हो गए।
जिस क्षण स्वयं को उसे दे दिया बस वहीं वैकुण्ठ घट गया। उसकी परम निकटता का नाम वैकुण्ठ है। संसार में अर्थहीन अस्तित्व रहता है परन्तु भगवान के आते ही इसमें अर्थ आ जाता है और संसार यहीं अभी का अभी वैकुण्ठ में बदल जाता है।
इसलिए जीवन के हर आचरण
में सत्य बना रहना चाहिए।

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