Chief Editor

Dharmendra Singh

Office address -: hanuman colony gole ka mandir gwalior (m.p.) Production office-:D304, 3rd floor sector 10 noida Delhi Mobile number-: 9806239561, 9425909162

October 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031  
October 19, 2025

सच दिखाने की हिम्मत

लोकेशन – मुरैना

आरक्षण पर राजनीति कहीं देश को न ले डूबे—राष्ट्रीय सवर्ण दल

जयपुर-राष्ट्रीय स्वर्ण दल प्रदेश अध्यक्ष बेनी प्रसाद कौशिक ने मिडिया कर्मी नागपाल शर्मा को वाट्सएप द्वारा बताया कि विकास और आमजन की ज्वलंत समस्याओं पर ध्यान दिए जाने के बजाय आज राजनीतिक दल सत्ता सुख की प्राप्ति के लिए बढ़-चढ़ कर,जिस अहम मुद्दे को सुर्ख़ियों में लाने में मशगूल हैं वह है *”जातिगत आरक्षण”* अभी हाल ही में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र के तहत जारी ‘न्याय पत्र’ में जनता से उसकी सरकार बनने पर जाति आधारित जनगणना और आरक्षण की सीमा अधिकतम सीमा 50% से ज्यादा बढ़ाये जाने के साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को मिलने वाले 10% आरक्षण को भी सभी वर्गों में गरीबों के लिए बिना भेदभाव के लागू करने की बात दर्शाई है। पार्टी के घोषणा पत्र में निहित,पांच न्याय की गारंटी के तहत,हिस्सेदारी न्याय के अनुसार जनगणना कर आरक्षण की 50% सीमा को भी खत्म करने की बात कही गई है।वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संगठन जो व्यापक रूप से भारत के सतारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी का पैतृक संगठन माना जाता है,ने भी आरक्षण के मुद्दे को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। उसका मानना है कि सामाजिक न्याय एवं सामाजिक समरसता के लिए आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था को आवश्यक रूप से रहना चाहिए और संघ आरक्षण व्यवस्था के लिए प्रतिबद्ध बद्ध है मगर अफसोस कि उसने इस बात पर भी जोर दिया था कि आरक्षण व्यवस्था का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए..? संघ प्रमुख ने आरक्षण की नीति पर पुनर्विचार की वकालत करते हुए कहा था कि यह तय होना चाहिए कि कितने लोगों को कितने दिनों तक आरक्षण दिया जाना चाहिए या नहीं.. दबाव की राजनीति के एक सवाल के जवाब में भागवत ने कहा था कि प्रजातंत्र की कुछ आकांक्षाएं होती हैं लेकिन, दबाव समूह के माध्यम से दूसरों को दुखी करके उन्हें पूरा नहीं किया जाना चाहिए। सब सुखी हों ,ऐसा समग्र भाव होना चाहिए ।यही नहीं, संघ के प्रमुख ने अपने मुख पत्र “पांच जन्य और ऑर्गेनाइजर ” के साथ साक्षात्कार में सरकार को सुझाव दिया था कि वह इस मुद्दे को लेकर एक समिति का गठन करे। उन्होंने यह भी आक्षेप लगाया था कि जातिगत आरक्षण का दुरूपयोग हुआ है और राजनीतिक दलों ने इसका फायदा भी उठाया है इसमें कोई संशय नहीं कि आज भी भारत के धर्मनिरपेक्ष संविधान ,कानून, अनूठी सांस्कृतिक विविधता और दिनों दिन बढ़ते पश्चिमी प्रभाव वाली जीवन शैली और सामाजिक विचारों पर कुछ ऐसे सवाल उठे हुए हैं कि जिन्हें लेकर संघ के लोग भी सहज नहीं है। इस प्रकार वर्तमान चुनावी दौर में पार्टियों ने आरक्षण को वोट बैंक का प्रमुख हथियार बना लिया है, सभी प्रमुख पार्टियों ने आरक्षण पर समीक्षा और उसके दुष्प्रभाव पर चिंता और चर्चा के बजाय अपनी चुप्पी साध रखी है और आरक्षण के पक्ष में खड़ी हुई है जिससे साबित होता है की ठोस निती और निर्णयों के बजाय,वह दोमुंही चालों से जनता को भ्रमित कर रही है….?कभी आरक्षण का विरोध करती हैं तो कभी स्वार्थ पस्त राजनीति के कारण आरक्षण के पक्ष में लामबंद हो जाती हैं। आम जनता जानना चाहती है कि, क्या आरक्षण के अतिरिक्त कोई जन समस्या और मुद्दे है ही नहीं… आरक्षण के कारण देश की बुनियादी नींव कमजोर होती चली जा रही है और समाज में परस्पर वैमनस्यता बढ़ी है। भाईचारा और सौहार्द में कमी आई है,अपेक्षित प्रशासकीय दक्षता का अभाव स्पष्ट नजर आ रहा है …. यही कारण है कि हम आज भी अपेक्षाओं के अनुरूप जन आकांक्षाओं की पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं…! हमें अपने देश को सुदृढ़ और विकसित करने के लिए प्रतिभा व योग्यता को हर हाल में बचाना होगा. । समय आ गया है, हमें संकल्प लेना होगा और राजनीतिक पार्टियों को यह अहसास कराना होगा कि वे ,जनता को कब तक भ्रमित करते रहेंगे और अपने किए गए वायदे कब तक पूरे करेंगे। राष्ट्रीय सवर्ण दल द्वारा जनहित में जारी। *बेनी प्रसाद कौशिक*

 

तहसील राजगढ़ जिला अलवर राजस्थान से प्रदीप शर्मा की खास रिपोर्ट ।