स्लीमनाबाद -:
*झोलाछाप डॉक्टर ने ले ली 3 साल के मासूम बच्चे की जान, स्लीमनाबाद पुलिस ने झोलाछाप डॉक्टर को किया गिरफ्तार क्लीनिक की सील, बिना वैध डिग्री के कर रहा था इलाज
स्लीमनाबाद। गलत इंजेक्शन लगाने के कारण एक 3 साल के मासूम बच्चे की मौत होने का मामला प्रकाश में आया है। स्लीमनाबाद पुलिस ने दोषी झोला छाप डाक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया और उसकी क्लिनिक को सील कर दिया है।
पुलिस अधीक्षक अभिजीत कुमार रंजन के निर्देशन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉ संतोष डेहरिया व अनुविभागीय अधिकारी स्लिमनाबाद के मार्गदर्शन में थाना प्रभारी स्लिमनाबाद अखलेश दहिया द्वारा कार्रवाई की गई है।
जानकारी के मुताबिक 21 सितंबर को चन्द्रभान पिता भोलाराम भुमिया उम्र 23 साल निवासी तिहारी ने थाने आकर शिकायत दर्ज कराई की उसके भतीजे ओम आदिवासी उम्र 03 साल की तबीयत खराब होने से वह बच्चे को लेकर प्रायवेट डाक्टर तिवारी स्लीमनाबाद के यहां ईलाज कराने गया। ईलाज करा कर वह बच्चे को घर वापस ले गया। घर मे भतीजे की तबीयत खराब दोबारा से हो गयी। उसकी पुनः डाक्टर तिवारी के यहा लेकर आये। डॉक्टर के द्वारा भतीजे की मृत्यु होना बताया। तब शासकीय अस्पताल स्लीमनाबाद जाकर डाक्टर शिवम दुबे को चेक कराये। जिन्होने ओम आदिवासी को मृत होना बताया। रिपोर्ट पर मर्ग कायम कर जांच मे लिया गया। मर्ग जांच दौरान मृतक ओम आदिवासी की मृत्यु डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद तिवारी के व्दारा इंजेक्शन लगाने व गोली दवा खिलाने से मृत्यु होना बताया गया। सी एच सी स्लीमनाबाद के डाक्टर शिवम दुबे को डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद तिवारी के संबंध में जानकारी चाहने पत्राचार किया गया। डा. शिवम दुबे व्दारा पत्र मे लेख कर दिया गया है कि डा. राजेन्द्र प्रसाद तिवारी के पास आयुर्वेदिक चिकित्सक प्रमाण पत्र है जिसके अंतर्गत उन्हे इंगलिष (ऐलोपैथी) एवं ऐलोपैथी वाले इंजेक्शन लगाने व बाटल, टेबलेट, सीरप देने व सलाह देने की पात्रता नही है। बच्चे की मृत्यु की सम्पूर्ण जांच पर डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद तिवारी निवासी स्लीमनाबाद व्दारा मृतक ओम आदिवासी को उपेक्षापूर्ण कार्य करने तथा इंजेक्शन लगाने व गोली दवा देने की पात्रता न होने एवं आयुर्वेदिक चिकित्सा का ज्ञान होने तथा आधुनिक चिकित्सा का ज्ञान न होने के कारण मृत्यु होना पायी गयी है। आरोपी डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद तिवारी निवासी स्लीमनाबाद का कृत्य अपराध धारा 106(1) बी एनएस, 15(3), 24 मध्यप्रदेश राज्य आर्युविज्ञान परिषद अधिनियम 1956, 1958 का पाया जाने से प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना मे लिया गया। झोला छाप डॉक्टर की क्लिनिक को शील कराते हुए गिरफ्त में लिया गया है
अभिषेक नायक की खास रिपोर्ट
More Stories
नपाध्यक्ष हेमकुंवर मेवाड़ा ने सौंपे हितग्राहियों को संबल अनुग्रह सहायता राशि के स्वीकृति पत्र
दक्षिण पन्ना वन विभाग का ग्राम विकास में अभिनव प्रयास : सौर ऊर्जा से रोशन हुए 10 गाँव
आष्टा जूनियर त्रिकोणीय सीरीज लेदर बॉल क्रिकेट का हुआ समापन