आष्टा /किरण रांका
शहीद भगत सिंह शासकीय महाविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के अवसर पर भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध जन दिवस मनाया गया। भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ के प्रभारी डॉक्टर दीपेश पाठक ने जानकारी देते बताया की वृद्धजनों के प्रति युवाओं का दायित्व विषय पर कार्यक्रम आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता महाविद्यालय की प्रभारी प्राचार्य सुश्री वैशाली रामटेके द्वारा की गई कार्यक्रम के प्रारंभ में सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाली शिक्षाविद महाविद्यालय राजनीतिक विभाग की डॉक्टर बेला सुराणा का का स्वागत प्राचार्य द्वारा अर्पणा व मोतियों की माला के साथ किया गया। उसके बाद महाविद्यालय के विद्यार्थियों कृतिक जोशी बीए तृतीय वर्ष, कुमकुम सोनानिया बीएससी प्रथम वर्ष, संजना राजपूत बीबीए प्रथम वर्ष ,ने अपने घर के बुजुर्गों के साथ बिताए अनुभव को सभी के साथ साझा किया जिसको सुनकर संपूर्ण कक्ष में भावुकता पूर्ण वातावरण हो गया। इस अवसर पर सम्मान प्राप्त करते हुए डा बेला सुराणा ने कहा की बुजुर्ग पूजनीय होते हैं क्योंकि वे जीवन की अद्वितीय अनुभवों के धारक होते हैं, जिनसे हम सीखते हैं। वे समझदारी, अनुभव, और सामजिक संदेशों के रूप में हमारे लिए महत्वपूर्ण होते हैं, जैसे वट वृक्ष जीवन के लक्ष्य को सांदर्भिकता देता है। मैं भी संयुक्त परिवार में रही हूं बुजुर्गों का सानिध्य मुझे सदा मिलता रहा है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रभारी डॉ रचना श्रीवास्तव ने अपने विचार रखते हुए कहा की हमारी संस्कृति में बड़े-बुजुर्गों के सम्मान की परंपरा रही है। बचपन में जब कभी बच्चों को अपने से बड़ों से कुछ ऊंची आवाज में बात करते देखा जाता था, तो यही नसीहत दी जाती थी कि उनसे सम्मान से पेश आओ। किंतु बदलते समय और जीवन मूल्यों के कारण अब स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि बुजुर्ग हमारे समाज में हाशिए पर जाने लगे हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही प्रभारी प्राचार्य सुश्री वैशाली रामटेके ने कहा की समाजपरिवार में बुजुर्ग वटवृक्ष का रूप होता है। उनके आदर्श संस्कारों का युवा पीढ़ी को जीवन में अनुसरण करना चाहिए। बुजुर्गों का मान-सम्मान हमारी सुसभ्य संस्कृति स्वस्थ्य मानसिकता का परिचायक है। बदलते परिवेश में नई पीढ़ी को बुजुर्गों के अनुभव सीख से प्रेरणा मिलती है। मुझे भी अपने जीवन में अपने दादा-दादी और नाना नानी का आशीर्वाद व मार्गदर्शन मिला मैंने उनके साथ रहकर जीवन की सही शिक्षा सीखी आप सभी अपने घर के बुजुर्गों का सम्मान करें और उनकी खुशियों का ध्यान रखें।
कार्यक्रम का संचालन व आभार भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ प्रभारी डा दीपेश पाठक द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में यह रहे उपस्थित
डा सबीहा अख्तर, डा कृपाल विश्वकर्मा, डॉ ललिताराय श्रीवास्तव, डॉ मेघा जैन, शिवानी मालवीय, जगदीश नागले, जयपाल विश्वकर्मा, वसीम खान, वैभव सुराना, लक्ष्मी विश्वकर्मा, दीक्षा सूर्यवंशी, रामेश्वर अहीके, निरंजना घोटे
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