गोवर्धन पूजन पर गोशाला में हुआ आयोजन
सरदारपुर से राहुल राठोड़
सरदारपुर- राजोद गोवर्धन पूजा के मौके पर सनातनी परम्परानुसार श्री गोपाल गोशाला राजोद- साजोद- रानीखेड़ी पर गोमाता का पूजन व गोवर्धन पूजन कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर गायों का पूजन अर्चन आरती की गई। पंडित डाक्टर राजेन्द्र उपाध्याय पूजन की विधि सम्पन्न करवाई गई। बाद में विधि विधान से गोवर्धन पूजा हुई। गोमाता के पूजन विधान को परिभाषित करते हुऐ श्री उपाध्याय ने बताया कि पांच हजार वर्ष पूर्व यह परंपरा भगवान श्री कृष्ण द्वारा शुरू की गई,दशम स्कंद के चोविसवे अध्याय में में स्पस्ट रूपसे बताया गया है कि,समस्त गोधन एवं गोवर्धन पर्वत की पूजा प्रकृति के सरक्षण की प्रेरणा देती है। उन्होंने बताया कि गाय सिर्फ पशु ही नही है यह माँ समान पूज्नीय है,इसकी पवित्रता इस बात का प्रमाण है इसके रोम रोम में देवी देवताओं का वास है। डाक्टर उपाध्याय कहते है कि पांच हजार पूर्व श्री कृष्ण की इस पद्दति को वैज्ञानिक भी स्वीकार करते है। वैज्ञानिकों ने गाय के जीवन चक्र पर क़ई अनुसंधान किये है और ये पाया की गाय के दूध से बने सभी पदार्थ उत्तम तथा उयोगी है। गाय में गोबर में ऑक्सीजन की प्रचुर मात्रा के साथ वह कीटनाशक एवं रोगाणु नाशक है। जो भूमि की उर्वरा जल संचय की शक्ति को बढ़ाता है। गाय का गोमूत्र असाध्य रोगों के इलाज के साथ साथ शुद्धिकरण के काम आता है। श्री उपाध्याय ने बताया कि गाय के दूध में विटामिन्स,मिनरल्स, प्रोटीन रहता है जो मनुष्य के लिए जीवन उयोगी है। गोमाता जहाँ निवास करती है उस स्थान का वास्तुदोष स्वतः ही नष्ट होजाता है। इस लिये
आध्यात्मिकदृष्टि,सांस्कृतिक,
और वैज्ञानिक दृष्टि से भी गोमाता का पूजन करना मनुष्यो के लिए श्रेयस्कर है। इस मौके पर गोशाला के पूर्व अध्यक्ष डाक्टर पी.एल.पोपण्डिया,
पत्रकार सुरेश द्विवेदी, वर्तमान
अध्यक्ष गोवर्धन बग्गड़,सचिव शंकर लाल मदारिया,परमानंद बग्गड़,बनकट पिपलिया, पंजी सर धनोलिया,
शंभूलाल पिपलिया,मोहनलाल धाकड़, जगदीश मेहता सहित बड़ी संख्या में गो भक्त मौजूद रहे।
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