जनजातीय कार्य विभाग मंत्री, डॉ. शाह ने किया जनजातीय गौरव के प्रतीक श्री बादल भोई जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय का निरीक्षण










संग्रहालय के ऑडिटोरियम को सर्वसुविधायुक्त और बहुपयोगी बनाने के लिए 20 लाख रुपये की राशि स्वीकृत करने की घोषणा की
प्रदेश के जनजातीय कार्य, लोक परिसंपत्ति प्रबंधन, भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री डॉ.कुँवर विजय शाह ने छिन्दवाड़ा प्रवास के दौरान आज जिले में स्थित श्री बादल भोई जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय का भ्रमण किया। इस संग्रहालय का लोकार्पण 15 नवंबर 2024 को जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्चुअल माध्यम से किया गया था। भ्रमण के दौरान मंत्री डॉ. शाह के साथ छिंदवाड़ा सांसद श्री विवेक बंटी साहू, अमरवाड़ा विधायक श्री कमलेश प्रताप शाह, प्रमुख सचिव जनजातीय कार्य विभाग श्री गुलशन बामरा, संचालक जनजातीय कार्य विभाग योजनाएं श्रीमती वंदना वैद्य, अपर संचालक जनजातीय कार्य विभाग योजनाएं श्रीमती रीता सिंह, कलेक्टर श्री शीलेन्द्र सिंह, सीईओ जिला पंचायत श्री अग्रिम कुमार, सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग श्री सतेन्द्र सिंह मरकाम सहित अन्य अधिकारी एवं श्री टीकाराम चंद्रवंशी सहित अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। संग्रहालय पहुंचने पर जनजातीय कलाकारों द्वारा लोक नृत्य से जनजातीय कार्य मंत्री डॉ.शाह का आत्मीय स्वागत किया गया।
निरीक्षण के दौरान मंत्री डॉ. शाह ने नवनिर्मित संग्रहालय की सभी गैलरियों का बारीकी से अवलोकन किया। उन्होंने पुराने परिसर का भी अवलोकन किया जिसमें संग्रहालय के विभिन्न कक्षों जैसे अलंकार कक्ष, बैगा कक्ष, नृत्य कक्ष, पत्थर फॉसिल कक्ष, लौह काष्ठ एवं शिल्प कक्ष आदि का निरीक्षण भी शामिल है। इन कक्षों में प्रमुख आदिवासी व्यक्तित्वों की प्रतिमाएं और आदिवासी इतिहास से जुड़ी चीजें प्रदर्शित हैं। डॉ. कुंवर विजय शाह ने संग्रहालय के दौरे के दौरान ऑडिटोरियम का भी निरीक्षण किया और इसे सर्व सुविधायुक्त और बहुपयोगी बनाने के लिए 20 लाख रुपये की राशि स्वीकृत करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह ऑडिटोरियम जनजातीय संस्कृति और इतिहास पर आधारित कार्यक्रमों, कार्यशालाओं और अन्य गतिविधियों के आयोजन का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनेगा।
उल्लेखनीय है कि श्री बादल भोई जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय में कुल छह गैलरियां हैं, जो जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम और संस्कृति की कहानियों को जीवंत रूप में प्रस्तुत करती हैं। इसके अलावा, संग्रहालय में एक कार्यशाला कक्ष, एक लाइब्रेरी, 800 दर्शकों की क्षमता वाला ओपन एयर थिएटर, शिल्प बाजार और एक ट्राइबल कैफेटेरिया भी शामिल है। 8.5 एकड़ भूमि पर फैले इस संग्रहालय का निर्माण 40.69 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है।
प्रथम गैलरी रानी दुर्गावती के साहस, उनकी वीरता और शासनकाल के योगदान को समर्पित है। दूसरी गैलरी में गोंड राजाओं द्वारा ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ किए गए संघर्ष को दिखाया गया है। तीसरी गैलरी ‘जंगल सत्याग्रह’ के माध्यम से वन अधिकार और जनजातीय आंदोलन की कहानियां प्रदर्शित करती है। चौथी गैलरी भील-भिलाला जनजाति के स्वतंत्रता सेनानियों, जैसे भीमा नायक, खाज्या नायक और टंट्या भील, की वीरगाथाओं को उजागर करती है। पांचवीं और छठी गैलरियां कला और प्रदर्शनी के लिए समर्पित हैं, जहां समय-समय पर जनजातीय इतिहास और संस्कृति से संबंधित प्रदर्शनियां लगाई जाती हैं।
यह संग्रहालय पेंच-पचमढ़ी मार्ग पर स्थित है और आसपास के ऐतिहासिक स्थलों के साथ-साथ जनजातीय गौरव का प्रतीक है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2016 में घोषित इस पहल के तहत छिंदवाड़ा में यह अद्वितीय संग्रहालय निर्मित हुआ है, जो जनजातीय समाज की संस्कृति और स्वतंत्रता संग्राम की अमर गाथाओं को संजोए हुए है।
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