झाबुआ से _अमित सिंह जादौन _प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के स्थानीय सेवा केंद्र द्वारा जिला जेल झाबुआ में ईश्वरी रक्षा सूत्र का पावन पर्व मनाया गया | रक्षाबंधन का आध्यात्मिक रहस्य समझाते हुए राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी ज्योति दीदी ने अपने उद्बोधन में कहा कि मानव स्वभाव से ही स्वतंत्रता प्रेमी है अतः वह जिस बात को बंधन समझना है उससे छुटने का प्रयत्न करता है परंतु रक्षाबंधन को बहने और भाई त्यौहार अथवा उत्सव समझकर खुशी से मनाते हैं यह एक न्यारा और प्यारा बंधन है बंधन दो प्रकार के होते हैं एक तो ईश्वरीय बंधन और दूसरे सांसारिक अर्थात कर्मों के बंधन |
ईश्वरीय बंधन से मनुष्य को सुख मिलता है परंतु दूसरे प्रकार के बंधनों से दुख की प्राप्ति होती है| रक्षाबंधन, ईश्वरीय बंधन, आध्यात्मिक बंधन, अथवा धार्मिक बंधन है | प्रत्येक मनुष्य पांच प्रकार की रक्षा चाहता है तन कि रक्षा, धर्म सतीत्व अथवा पवित्रता की रक्षा, काल के पंजे से रक्षा, सांसारिक आपदाओं से रक्षा, माया के बंधनों से रक्षा | लेकिन यह रक्षा तभी कर सकते हैं जब हमारा मन शक्तिशाली होगा और मन को शक्तिशाली बनाने के लिए स्वयं निराकार परमपिता परमात्मा( शिव बाबा) हम सब आत्माओं को राजयोग सिखाकर आत्मिक स्मृति का तिलक लगाना सीखा रहे हैं रक्षा करनी है अपनी आत्मा की पांच विकारों रूपी दुश्मन से | जैसे राखी धागों में बंधी हुई होती है ऐसे ही अपने मन को शिव पिता परमात्मा से बांधना है रोज मधुर वचन स्वयं भी खानी है और अन्य आत्माओं को भी खिलानी है और दान देना है अपने मन के नकारात्मक और व्यर्थ विचारों का | तभी हम स्वयं की रक्षा और समाज की रक्षा कर सकेंगे |
अंत मेंसभी बंदी भाइयों को मेडिटेशन अभ्यास कराया गया सभी बंदी भाइयों को एवं स्टॉफ को ईश्वरी रक्षा सूत्र बांधकर प्रसाद दिया गया | इस अवसर पर जेल अधीक्षक महोदय भ्राता सुजीत खरे जी ने भी अपने विचार व्यक्त किये | इस कार्यक्रम में बहन चेतन चौहान, बहन रमिला सोलंकी, भ्राता मानसिंह, ब्रह्मा कुमार सुधाकर भाई का सराहनीय सहयोग रहा
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