अर्चना तिवारी प्रकरण में राम तोमर रहा मुख्य सूत्रधार –
इन दिनों अर्चना तिवारी प्रकरण की गूंज मीडिया की सुर्खियां बनी हुई है। आखिरकार पुलिस ने अर्चना तिवारी प्रकरण की गुत्थी सुलझा ली है। इस प्रकरण को सुलझाने में ग्वालियर के भंवरपुरा थाने के आरक्षक राम तोमर का अहम रोल रहा है।
विदित हो कि मध्य प्रदेश के कटनी जिले की रहने वाली अर्चना तिवारी 7 अगस्त को रहस्यमय तरीके से लापता हो गईं। रक्षाबंधन के मौके पर घर लौटते समय नर्मदा एक्सप्रेस से सफर कर रही अर्चना की आखिरी लोकेशन भोपाल स्टेशन पर मिली थी, जबकि उनका बैग उमरिया स्टेशन पर बरामद हुआ था । राहत की बात ये है कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में नेपाल बॉर्डर के पास अर्चना मिल गई हैं। इस मामले के जांच के दौरान एक पुलिसकर्मी का नाम सामने आया, सिपाही राम सिंह तोमर, जो ग्वालियर के भंवरपुरा थाने में तैनात हैं।
कौन है राम तोमर? जिससे अर्चना लगातार कर रही थी बात –
कॉल डिटेल से पता चला था कि अर्चना लापता होने से पहले ग्वालियर के आरक्षक राम तोमर के लगातार संपर्क में थी। तब जीआरपी ने राम तोमर को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की थी। उस पूछताछ में बहुत सारे तथ्य सामने आए थे, जिससे यह अंदाज़ा लग गया था कि अर्चना तिवारी प्रकरण की गुत्थी सुलझ जाएगी।
इंदौर में रहकर सिविल जज की तैयारी करने वाली कटनी की अर्चना तिवारी पिछले 12 दिनों से लापता थी । रक्षाबंधन वाले दिन घर से निकली अर्चना चलती ट्रेन से लापता हो गई थी। अर्चना की आखिरी लोकेशन पुलिस को भोपाल में मिली थी, जबकि अर्चना के पास इंदौर से ग्वालियर तक का टिकट था। 12 दिन की खोजबीन के बाद अब अर्चना तिवारी केस में ग्वालियर का नया कनेक्शन निकलकर सामने आया था। जीआरपी पुलिस को जांच में पता चला था कि अर्चना के लापता होने से पहले तक ग्वालियर के एक आरक्षक राम तोमर लगातार संपर्क था।
अर्चना तिवारी लापता केस में आरक्षक राम तोमर को जीआरपी ने हिरासत में लिया था । वह भंवरपुर थाने में तैनात है। अर्चना तिवारी मामले में उसकी भूमिका संदिग्ध होने के चलते रेल पुलिस ने उसको हिरासत में लेकर पूछताछ की थी । अर्चना के कॉल डिटेल खंगालने के बाद जीआरपी पुलिस को आरक्षक और अर्चना की लंबी बातचीत का पता चला था । वहीं से अर्चना के मिलने की उम्मीद तय हो गई थी। दोनों में क्या संबंध है पुलिस इसका पता लगाने में जुट गई थी। आरक्षक राम तोमर से जीआरपी की टीम ने लंबी पूछताछ की थी और बहुत सारी महत्वपूर्ण जानकारी जीआरपी के हाथ लग गई थी । राम तोमर से पूछताछ के दौरान जीआरपी को पक्का यकीन हो गया था कि अब अर्चना तक पहुंचाना नामुमकिन नहीं है और हुआ भी यही, राम तोमर से पूछताछ के बाद कड़ियां से कड़िया जुड़ती गई और आखिरकार जीआरपी अर्चना तिवारी तक पहुंचने में कामयाब हो ही गई।अगर जीआरपी राम तोमर तक नहीं पहुंच पाती तो अर्चना तिवारी प्रकरण की गुत्थी अभी भी अनसुलझी ही रहती । निश्चित रूप से राम तोमर अर्चना तिवारी प्रकरण का मुख्य सूत्रधार साबित हुआ।
एक बड़ा सवाल जो अभी भी अनसुलझा हुआ है –
आखिर ऐसा क्या हुआ था कि आरक्षक राम तोमर को जीआरपी ने जब अपनी हिरासत में लिया था तो लापता युवती अर्चना तिवारी का दूसरे ही दिन कॉल आ गया था। क्या राम तोमर और अर्चना तिवारी के बीच कोई अलग कनेक्शन था। लापता अर्चना तिवारी को मीडिया के माध्यम से पुलिस की सारी गतिविधियों की जानकारियां लगातार पता चल रही थी। लेकिन अर्चना तिवारी को जब यह पता चला की राम तोमर को हिरासत में लिया गया है तो ऐसा क्या हुआ कि दूसरे ही दिन अर्चना तिवारी का अपने परिजनों को कॉल आ गया। अर्चना तिवारी प्रकरण के सबसे बड़े सूत्रधार राम तोमर जिसको अर्चना तिवारी प्रकरण की पूरी और पुख्ता जानकारी थी ऐसे व्यक्ति को आखिरकार जीआरपी पुलिस बचाने का प्रयास क्यों कर रही है। क्या राम तोमर को किसी राजनीतिक दबाव के चलते जीआरपी द्वारा बचाने का प्रयास किया जा रहा है। एक और बड़ा सवाल यह भी है कि वर्तमान समय में अर्चना तिवारी प्रकरण में जो कहानी जीआरपी बता और सुना रही है, वह कहानी परिवार के लोगों को बिल्कुल भी पच नहीं रही है, बिल्कुल भी सही नहीं लग रही है।परिवारजन पुलिस की इस कहानी को एक षड्यंत्र समझते हुए गलत करार दे रहे हैं। वह मानते हैं कि इस प्रकरण में कुछ अलग तथ्य है जो सामने नहीं आ पा रहे हैं या पुलिस सामने लाना नहीं चाहती। यह बात भी सही है कि अगर अर्चना तिवारी अपने मर्जी से ही कहीं गई थी तो राम तोमर को हिरासत में लेने के बाद उसने कैसे अचानक वापस आने का निर्णय लिया, क्यों अपना निर्णय बदलते हुए परिजनों को कॉल किया और क्यूं अपने बारे में जानकारी दी। बहुत सारे सवाल अभी भी अनुत्तर है। जिसका जवाब जनता जानना चाहती है।
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