सीहोरा शिकार प्रकरण: विधानसभा में उठा मुद्दा, सरकार ने दिया जवाब
जवाब के बाद भी रह गए कई सवाल
भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा में सीहोरा वन परिक्षेत्र में स्थित महेंद्र गोयनका के निसर्ग इस्पात प्राइवेट लिमिटेड के परिसर में हुए वन्यजीव शिकार प्रकरण का मामला उठा। विधायक शैलेश जैन बोस के अतारांकित प्रश्न क्रमांक 1035 के उत्तर में वन मंत्री दिलीप अहिरवार ने बताया कि जंगली सूअर के शिकार मामले में चार मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है, जबकि तेंदुए के शिकार मामले में अभी भी अज्ञात आरोपियों की तलाश जारी है। लेकिन मंत्री के इस जवाब में कई महत्वपूर्ण कमियाँ और अधूरी जानकारियाँ भी देखने को मिली। जवाब के बाद भी कई सवाल शेष रह गए।
सरकार का जवाब
जंगली सूअर शिकार प्रकरण: 4 आरोपियों पर मामला दर्ज, सभी जेल भेजे गए।
तेंदुए का मामला: अज्ञात आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज, गिरफ्तारी अब तक नहीं।
कर्मचारी कार्रवाई: तत्कालीन परिक्षेत्र सहायक, बीट प्रभारी और सर्रा बीट प्रभारी निलंबित।
जांच: विभागीय जांच जारी; दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन।
जवाब के बाद भी जिज्ञासा
तेंदुए के शिकार पर ठोस जानकारी नहीं
सरकार ने स्वीकार किया कि तेंदुए का शिकार हुआ, लेकिन न तो आरोपी चिन्हित हुए हैं, न गिरफ्तारी हुई है। यह जानकारी अधूरी और चिंता बढ़ाने वाली रही।
जांच की समय-सीमा तय नहीं
मंत्री ने बताया कि विभागीय जांच जारी है, लेकिन कब पूरी होगी और कितनी प्रगति हुई — इसका कोई स्पष्ट ब्योरा नहीं दिया गया।
कंपनी परिसर में शिकार पर चुप्पी
शिकार निसर्ग इस्पात प्राइवेट लिमिटेड के परिसर में हुआ था, लेकिन कंपनी की भूमिका, सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी और कंपनी प्रबंधन पर संभावित कार्रवाई जैसे महत्वपूर्ण सवालों पर कोई जवाब नहीं दिया गया।
विभागीय लापरवाही पर सीमित जानकारी
कर्मचारियों को निलंबित तो किया गया, लेकिन उनकी लापरवाही किस स्तर की थी, क्या शिकार लंबे समय से होता रहा, क्या निगरानी तंत्र विफल था? इन पहलुओं पर सरकार ने साफ जवाब नहीं दिया।
घटनाओं का विस्तृत विवरण नहीं दिया गया
सितंबर से नवंबर 2025 के बीच मिली दो प्रमुख घटनाओं पर मंत्री ने केवल संक्षिप्त जानकारी दी, जबकि शिकार कैसे हुआ, कब रिपोर्ट बनी, पहले कौन-कौन मौके पर पहुंचे जैसी जानकारी जवाब में देखने को नहीं मिली।

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