महेश पांडुरंग शेंडे की रिपोर्ट

महाराष्ट्र राज्य के जिला गडचिरोली
- चपाराळा अभयारण्य अंतर्गत चौडपल्ली क्षेत्र में वर्षों से कुछ विशेष कर्मचारी की लगातार तैनाती को लेकर स्थानीय नागरिकों में असंतोष और गहरी शंका बढ़ती जा रही है लोगों का कहना है की पोस्टिंग में शामिल चेहरे वही रहते हैं। इस दोहराव ने नागरिकों के बीच यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या यह महज़ संयोग है या फिर इस क्षेत्र में कोई पुराना और संगठित नेटवर्क सक्रिय है, जिसे लाभकारी स्थानों पर बने रहने की विशेष सुविधा मिलती है। स्थानीय स्रोतों का आरोप है कि इन तैनातियों का सीधा संबंध अवैध धंदे,प्रतिबंधित पदार्थों की अवैध गतिविधियों और वसूली तंत्र से जुड़ा हुआ है। कई लोगों ने दावा किया कि संवेदनशील स्थानों पर हमेशा “पसंदीदा” फ़ॉरेस्ट गार्ड कर्मचारी जैसे ईल्लूर परिक्षेत्र मे असुविधा के चलते
जिम्मेदारी दी जाती है और शिकायत करने वालों पर दबाव, धमकी या झूठे केस का भय भी डाला जाता है। कुछ पत्रकारों ने भी आरोप लगाए कि उनसे खबरें रोकने या दबाने का प्रयास किया गया।
जनता का आरोप है कि इस पूरे मुद्दे की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुँच चुकी है, लेकिन कार्रवाई की कमी ने लोगों के अविश्वास को और गहरा कर दिया है। नागरिकों का कहना है कि वर्षों से शिकायतें की जा रही हैं, लेकिन न तो पोस्टिंग नीति की समीक्षा होती है और न ही नेटवर्क पर कोई ठोस कदम उठाया जाता है। कई लोगों ने यह भी बताया कि यदि कोई शिकायत लेकर थाने पहुँचे, तो सामने उसी भ्रष्टा कर्मचारी का सामना करना पड़ता है जिसके खिलाफ आरोप लगाया गया है। इससे जनता में डर और मजबूरी की भावना पैदा हो रही है। स्थानीय स्तर पर यह चर्चा भी जोरों पर है कि पोस्टिंग–ट्रांसफर का खेल पूरी तरह लाभ और सेटिंग के आधार पर चलता है, जिससे अवैध गतिविधियाँ और अधिक संगठित होती चली गई हैं।
सूत्रों के अनुसार क्षेत्र में ऐसा नेटवर्क विकसित हो चुका है जिसकी गूँज करंट लगाकर शिकार करने मार्गों तक सुनाई देती है। बताया जाता है कि कुछ कर्मचारियों के स्थानीय कारोबारियों, परिवहन ऑपरेटरों और बाहरी युवकों के साथ पुराने संपर्क हैं, जिनका उपयोग वसूली और दबाव तंत्र में किया जाता है। यही कारण है कि चाहे ACF बदले लेकिन जमीनी व्यवस्था में कोई ठोस परिवर्तन दिखाई नहीं देता। कई नागरिकों का कहना है कि आष्टी – क्षेत्र मे असामाजिक लोगो का अधिक “सिस्टम” चलता है और यही कारण है कि क्षेत्र में विश्वास की कमी और भय का वातावरण बना हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि स्थिति को सुधारने के लिए सबसे पहले वर्षों से जमे कामाचोर कर्मचारी का तत्काल स्थानांतरण किया जाना चाहिए। साथ ही संवेदनशील क्षेत्रों में बाहर से अधिकारियों और कर्मचारियों की तैनाती, अवैध वसुली नेटवर्क की उच्चस्तरीय जांच और पत्रकारों व शिकायतकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है। इसके अलावा पोस्टिंग और ट्रांसफर की पूरी प्रक्रिया का ऑडिट कर यह जानना जरूरी है कि कौन कर्मचारी कितने समय से एक ही क्षेत्र में तैनात है और इसके पीछे कारण क्या हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि यह कदम जल्द नहीं उठाए गए, तो अवैध गतिविधियाँ और भी संगठित हो सकती हैं और जनता का विश्वास पूरी तरह समाप्त हो जाएगा।
जनता अब इस इंतज़ार में है कि जिला फ़ॉरेस्ट डिपार्टमेंट के अधिकारी और उच्चस्तरीय अधिकारी कब कार्रवाई करेंगी। लोगों की अपेक्षा है कि इस बार मामला सिर्फ फाइलों में न दबे, बल्कि वास्तविक स्तर पर सुधार दिखे। कई नागरिकों का कहना है, लेकिन यहाँ के लोगों को अब भी कानून की रोशनी का इंतज़ार है।

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