*प्रेम, त्याग का प्रतीक है रामचरितमानस ग्रंथ, इसकी गहराइयों में है हर समस्या का निदान – देवी संध्या जी
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*ग्राम बरहद में 3 दिवसीय रामचरितमानस सम्मेलन का हुआ समापन*
मेहगांव मेहगांव क्षेत्र के ग्राम बरहद में श्री रामजानकी मंदिर पर चल रहे त्रिदिवसीय रामचरित मानस सम्मेलन का समापन कार्यक्रम आयोजित किया गया। 3 दिन से लगातार चल रहे रामचरित मानस पर व्याख्यान में पंडित कामतानाथ रामकिंकर जी, पंडित रामनिवास शास्त्री बरहद, पंडित दिलासाराम व्यास, जंडेल सिंह गुर्जर केरोरा के द्वारा गहन चर्चा और प्रवचन आयोजित किया गया। आज समापन दिवस पर प्रख्यात भागवताचार्य सुश्री देवी संध्या जी के द्वारा रामचरितमानस पर विशेष प्रवचन दिये। देवी संध्या जी ने बताया कि रामायण में हनुमान जी जब लंका को जला कर प्रभु राम के पास आये तो रघुनाथ ने पूछा कि तुम्हारी पूँछ क्यों नही जली। तो हनुमान जी का जवाब था कि ह्रदय में रघुनाथ थे। फिर पूँछ की कुशलता से मतलब नही था। देवी जी ने कहा कि आज सनातन को बचाने का एकमात्र चारा सिर्फ धर्म, प्रवचन, भागवत और धर्म सभा है नही तो धर्म को लुप्त होते समय नही लगेगा। देवी संध्या जी ने रामचरित मानस की चौपाइयों के संक्षिप्त में गहराई के साथ प्रवचन दिये। यह कार्यक्रम का आयोजन ग्राम बरहद के सरपंच प्रेमनारायण शर्मा के द्वारा किया गया। प्रवचन में बड़ी संख्या में ग्रामवासियों ने प्रवचन सुनकर रामचरित मानस के अर्थ को समझा।
गिरजेश पचौरी पत्रकार मेहगांव मो.9926264754
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