इरफान अंसारी रिपोर्टर
शहर से लगी खान कालोनी निवासी एक मुस्लिम परिवार ने बीते दिनों ने साम्प्रदायिक रंगों से उपर उठ कर इंसानियत का ना सिर्फ धर्म निभाया बल्कि एक मिसाल कायम की। इस परिवार ने एक हिंदु परिवार की बेटी की उस समय मदद
की जब उसके अपनाें ने ही उसे ठुकरा दिया। मुस्लिम परिवार ने उस बेटी का जीवन बसाया साथ ही माता पिता बन कर कन्यादान भी किया। यह कहानी है समीपस्थ ग्राम भगाेरा निवासी 21 वर्षीय युवती सपना की।जिसके
माता पिता का निधन होने से अनाथ हो गई थी। किसी तरह घर घर काम कर जीवन यापन कर रही थी।इस दौरान वह खान कॉलोनी निवासी नजमा घोसी के संपर्क में आई। नजमा में उसे अपनी बडी बहन का रूप दिखाई दिया। घरों में साफसफाई व बर्तन धोने का काम कर रही थी कि अचानक उसे वहां से निकाल दिया। परेशान सपना ने अपनी दस्ता नजमा घोसी को सुनाई।नजमा ने पहले अपने मामा मामी के
घर जाने को कहा लेकिन उन्होंने भी उसे स्वीकार नहीं किया। किसी तरह सपना वापस नजमा के पास आई।नजमा ने गुजरखेडा में रहने वाली अपनी पहचान के पूर्णिमा मेहरा परिवार से बात कर वहां पनाह दिलाई। नजमा को जब लगा की ऐसे कब तक वह अपना जीवन बिताएगी तो सपना से पूछ कर उसका घर बसाने के लिए रिश्ता तलाश किया। लेकिन सपना ने भी शर्त रखी की जब मेरी शादी होगी तो कन्यादान आप ही करना। नजमा ने पूर्णिमा मेहरा से
रिश्ता ढूंढने को कहा क्योंकि सपना हिंदु धर्म की थी।मेहरा परिवार ने प्रेरणा यादव के सहयोग से देवास में एक ठाकुर परिवार में रिश्ता तय किया। बात शादी और कन्यादान की होने लगी तब नजमा ने अपने पति युसुफ घोसी तथा भाई मोहसीन घोसी व तोसीफ घोसी ने भी इस नेक काम में पूरा सहयोग करने का वादा किया। बात पक्की होने पर मोहसीन व तोसीफ घोसी ने मेहमाननवाजी की जिम्मेदारी संभाली। गत दिनों हिंदू रीति रिवाजों के साथ सपना का विवाह
संपन्न कराया।यहां पर नजमा व युसूफ ने माता पिता बन कर सपना का कन्यादान भी किया।

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