Chief Editor

Dharmendra Singh

Office address -: hanuman colony gole ka mandir gwalior (m.p.) Production office-:D304, 3rd floor sector 10 noida Delhi Mobile number-: 9806239561, 9425909162

August 2025
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
25262728293031
August 9, 2025

सच दिखाने की हिम्मत

इरफान अंसारी रिपोर्टर

नाती-पोतों की शादी में यदि सबसे अधिक कोई खुश होता है, तो वो दादा-दादी और नाना-नानी हैं। अपनी सभी तमन्नाओं को नाती-पोतों की शादी में पूरा करने की चाह उनमें बखूबी दिखाई पड़ती है। और फिर जब बात नाच-गाने की हो, तो इनके आगे सारे रिश्तेदार फीके पड़ जाते हैं। ऐसा ही एक वीडियो सोमवार को स्वदेशी माइक्रो-ब्लॉगिंग मंच कू ऐप पर देखने को मिला, जिसमें 85 वर्षीय नानी अपने नाती की शादी में रंग भरती नज़र आईं। ये महिला कोई और नहीं, बल्कि हमारी प्यारी शूटर दादी प्रकाशी तोमर हैं।

नाती की शादी में धूम धड़ाका 🤗😃💃


मैं जट यमला पगला दीवाना पर अपने नाती और दुल्हन के साथ थिरकते हुए देखना वास्तव में प्रकाशी को उम्र से युवा बना देता है। उनका नाच ही उन्हें युवा नहीं बनता, बल्कि वृद्ध होने के बावजूद निशानेबाजी सीखने की चाह भी उन्हें युवा बनाती है।

सीखने की कोई उम्र नहीं होती

हुनर उम्र का मोहताज नहीं होता और सीखने की कोई उम्र नहीं होती, 85 वर्षीय महिला ने इसे सच कर दिखाया है। शूटर दादी के नाम से विख्यात प्रकाशी तोमर ने लम्बे समय तक निशानेबाजी की ट्रेनिंग लेकर न सिर्फ अपने गाँव का, बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है।

एक नहीं, दो हैं शूटर दादी

उत्तर प्रदेश की दो बुजुर्ग महिलाएँ शूटर दादी के नाम से प्रसिद्ध हैं। इन महिलाओं का असली नाम चंद्रो तोमर और प्रकाशी तोमर है। दोनों रिश्ते में जेठानी और देवरानी हैं और दोनों बागपत की रहने वाली हैं। विगत वर्ष अप्रैल में कोरोना की चपेट में आकर दादी चंद्रो तोमर का निधन हो गया।

जीवन परिचय

चंद्रो तोमर का जन्म 1 जनवरी 1932 को शामली जिले में हुआ था। चंद्रो तोमर के पति का नाम भोर सिंह तोमर था। चन्द्रो शादी के याद बागपत में बस गईं, जहां उनके देवर से प्रकाशी तोमर की शादी हुई और दोनों का रिश्ता बन गया।

वहीं, प्रकाशी तोमर का जन्म 1937 को मुजफ्फरनगर में हुआ था। प्रकाशी की शादी बागपत के जोहरी गांव के निवासी जय सिंह से हुई। प्रकाशी तोमर की दो बेटियां हैं।

देवरानी-जेठानी कैसे बनीं ‘शूटर दादी’

चंद्रो तोमर और प्रकाशी तोमर दोनों की आधी उम्र गृहणी बने रहते बीत गई। घर परिवार संभालना, बच्चे और चूल्हे-चौके के आगे दोनों के जीवन मे कुछ न था। फिर वक्त बदला और दोनों विश्व भर में शूटर दादी के नाम से विख्यात हो गईं।

दरअसल, प्रकाशी तोमर की बेटी शूटिंग सीखना चाहती थीं। प्रकाशी उन्हें रोजरी रायफल क्लब में ले गईं और बेटी का मनोबल बढ़ाने के लिए पिस्टल हाथ में थाम फायरिंग कर दी। किस्मत थी या लक्ष्य भेदने की चाह, निशाना सटीक लगा, जिसके बाद रोजरी क्लब के कोच ने प्रकाशी को भी क्लब जॉइन करने को कहा।

खूब बना मजाक

जब उन्होंने निशानेबाजी शुरू की तो प्रकाशी की उम्र 65 साल की थी। परिवार इसके पक्ष में नहीं था, तो वे छिप-छिप के निशानेबाजी की ट्रेनिंग लेने जाती थीं। इस काम में उनका साथ दिया प्रकाशी के जेठानी चन्द्रो ने। दोनों ने निशानेबाजी की ट्रेनिंग शुरू की, तो लोग उनका तरह-तरह से मज़ाक बनाने लगे।

लेकिन उन सब की बोलती तब बंद हो गई, जब दिल्ली में निशानेबाजी के मुकाबले में शूटर दादी ने दिल्ली के डीआईजी को शूटिंग में हराकर गोल्ड जीता। इसके बाद वह प्रतियोगिता में भाग लेने लगीं और प्रसिद्ध होने लगीं। वरिष्ठ नागरिक वर्ग में इस जोड़ी को कई अवॉर्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है। खुद राष्ट्रपति की ओर से इन्हें स्त्री शक्ति सम्मान से नवाजा गया है।

फिल्म सांड की आँख में हैं दोनों के किरदार

महिलाएँ घर-परिवार संभालती हैं, सरकार चलाती हैं, प्लेन उड़ाती हैं और हर वो काम करती हैं जो एक पुरुष करता है। लेकिन महिलाएँ बस इतने तक सीमित नहीं है। महिलाएँ मानसिक तौर पर कितनी ही सशक्त क्यों न हों, उन्हें शारीरिक तौर पर कमजोर ही समझा जाता है। लेकिन दुनिया भर की कई महिलाओं ने अपने सशक्त व्यक्तित्व से इस बात को भी झुठला दिया है। मैरी कॉम, मीरा बाई चानू अपने बाजुओं के दम पर देश का मान बढ़ा रहीं है, तो उम्र की सीमा से परे हमारे देश की दादियाँ बंदूक दाग रहीं है। आपने वर्ष 2019 में आई फिल्म सांड की आँख तो देखी ही होगी। इस फिल्म में तापसी पन्नू और भूमि पेडनेकर ने दो ऐसी बुजुर्ग महिलाओं का किरदार निभाया है, जो देश के लिए निशानेबाजी करतीं हैं। यह फिल्म कोई काल्पनिक कहानी नहीं है, बल्कि देश की दो शूटर दादियों के संघर्ष पर आधारित सच्ची घटना है।