बाला प्रसाद साहू रिपोर्टर





*मामला वन एसडी अनुपम शर्मा के विदाई समारोह का*
सतना :- देश की आबादी इतनी अधिक हो चुकी है कि कोई भी उत्पाद इतना बन सके कि सब तक पहुंच जाए ।
ऐसा ही मामला अंगूर की बेटी शराब का है।
वह इतनी बन ही नही पाती की ओरिजनल माल सब तक पहुंच सके।
जाहिर है , ऐसे में उस ब्रांड का नकली माल बना कर उसकी पूर्ति की जाती है।
गर्मी का आलम इस साल कुछ अलग ही है। ऐसी हालत में रूस ने हजारों मिसालो के माध्यम से बारूद को आसमान में भर दिया है।
अब भला ऐसी परिस्थितियों में नकली शराब दिमाक में जाकर क्या तांडव मचाती होगी, इसका नजारा हमारे घूमते आईने ने बेला रूहिया के वाटर पार्क में उस समय देखा जब जिले से रिटायर हुए अनुपम शर्मा का विदाई समारोह हुआ। घूमते आईने ने देखा कि यहां कलेक्टर एवं जिले के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे , तब तक यहां सब ठीक था, उनके जाते ही अंगूर की बेटी ने ऐसा दम दिखाया की रुहिया से चलकर वह डीएफओ विपिन पटेल के बंगले तक शांत नहीं हुई ।उसे शांति तभी मिली जब बेचारे सुदीप निगम का हाथ नहीं तोड़ डाला। घूमते आईने ने बताया कि यूं तो रेंजर पंकज दुबे पत्रकारों को बैठा कर दिन रात कुर्मी कुर्मी करते रहते हैं लेकिन यहां बिल्कुल घुले मिले नजर आए अंगूर की बेटी का आतंक लगातार जारी रहा और यह पार्टी वन विभाग के कर्मचारियों में चर्चा का विषय बनी हुई है घूमते आईने का कहना है की अंगूर की बेटी का जलवा जिले के प्रभारी मंत्री के कानों तक पहुंच गया है अब यह घूमते आईने से तस्वीर की अपेक्षा कर रहे हैं। वैसे डीएफओ ने सभी विभागीय अधिकारियों वहां मौजूद
लोगों से मोबाइल छीन कर उसे आईटी विशेषज्ञ के माध्यम से डिलीट करा दिया है। लेकिन फिर घूमते आईने का क्या महत्व आखिर “जहां न जाए रवि वहां जाए कवि”।
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