इरफान अंसारी रिपोर्टर

आज समाजसेवा का मतलब, नेतागिरी करना हो गया है। आम इंसान सोचता है कि वो तो समाजसेवा कर ही नहीं सकता। समाजसेवा करने के लिए समय और पैसा चाहिए और दोनों चीज उनके पास नहीं होती। क्योंकि आम जनता का पूरा समय पैसा कमाने में ही खर्च हो जाता है! ऐसे में ‘समाजसेवा’ शब्द एक फैशन की तरह इस्तेमाल होने लगा है। जो थोड़ी-बहुत समाजसेवा होती है, वो भी सिर्फ सोशल मीड़िया पर छा जाने के लिए। पहले कहा जाता था “नेकी कर कूएं में ड़ाल” लेकिन अब कूएं ही नहीं रहें। अत: अब ऐसा लगता है कि हर छोटी-मोटी नेकी सोशल मीड़िया पर अपलोड करने के लिए ही की जाती है।
लेकिन आज हम मिलेंगे एक ऐसे व्यक्ति से, जो न तो कोई नेता है, न हीं कोई बड़ा अधिकारी! फिर भी उसने शहर के सामने समाजसेवा का उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया है। इन सज्जन का नाम है आशिक हुसैन उर्फ अच्छू भाई’, जो उज्जैन, मध्यप्रदेश के रहनेवाले है और की छोटा मोटा कारोबार करते है
क्या किया अच्छू भाई ने?
सभी कहते है कि शादी-ब्याह में पैसों की बहुत बरबादी होती है। हमें ज्यादा तामझाम न करते हुए साधे तरीके से शादी करनी चाहिए। लेकिन जब खुद की या खुद के बच्चों के शादी की बात आती है, तब हम कहते है कि शादी तो जिंदगी में एक ही बार होती है, फिर हम बिना तामझाम के शादी कैसे कर सकते है? ज्यादातर लोग तो कर्ज लेकर भी तामझाम से शादी करने में विश्वास रखते है। लेकिन अच्छू भाई ने शादी के कार्य में भी समाज की भलाई सोची! इस लिए उन्होनें शादी सम्मेलन कराने का इरादा बनाया और उस योजना को साकार कर दिखाया शादी में अनाथाश्रम, वृद्धाश्रम, मुक-बधिर विद्यालय सहित अन्य स्थानों पर रहने वाले जरुरतमंद लोग भी शामिल थे। गर्मी आते ही जानवरों को भी पानी का इंतज़ाम करते नज़र आते है जरुरतमंदों को कई बार शहर में चन्दा करके इलाज करवाने में आगे रहते हैं
वीर सपूत सिर्फ वो ही नहीं होते, जो सीमा पर दुश्मनों से लड़ते है। आज भारत को ऐसे ही वीर सपूतों की आवश्यकता है जो निस्वार्थ भाव से अपना कार्य करें। एक छोटा इन्सान जो खुद की कमाई से जरुरतमंदों की सहायता करता है। क्या कहेंगे आप ऐसी निस्वार्थ सेवा को? मैं व्यक्तिश: भारत के इस वीर सपूत को उसके निस्वार्थ सेवा के लिए पूरा शहर सलाम करता है। शहर ही क्यों , मुझे लगता है कि आप भी उन्हें अवश्य सलाम करेंगे!
कभी महाकाल दर्शनार्थियों को प्रशाद वितरण करते नज़र आते है तो कभी स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अवैध निर्माण बताने वालों से लड़ाई लड़ते है तो कभी ऐसे लोग जिनको जानते पहचानते नही उनके लिए चाइना डोर से बचाव के लिए पुल पर तार बांधते है
आज शाशन प्रशासन बेगमबाग कालोनी को संवेदनशील एरिया कहता है तो वहां शासनिक प्रशानिक अधिकारियों को बुलाकर सम्मानित करते है जिस्से उनको छेत्र की असलियत से वाकिफ करा सके की यहाँ सब सामाजिक और सभ्य लोग रहते है तो वही झंडा वन्दन कर अपने भारतिय नागरिक होने का परिचय तो देते है है लेकिन साथ ही छेत्र का मान भी बढ़ाते है
जहां कुछ लोग शाषन प्रसाशन में सम्बन्द्ध बनाने में लगे रहते है तो वही ये शख्स उनसे मोहल्ले की समस्याओं के।लड़ाई करता नजर आता है किसी को अस्पताल में ज़रूरत है तो अच्छू किसी को थाने ओर ज़रूरत है तो अच्छू किसी को ब्लड चाहिए तो अच्छू, किसी को कफ़न दफन करना हो तो अच्छू, किसी को नगर निगम का काम हो तो अच्छू, मय्यत को ग़ुस्ल देना हो तो अच्छू, आखिर क्या खूबी है इस इंसान में ये बड़ा सवाल है
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