सरिता जगदीश पाटीदार न्यूज़24×7 इंडिया मनावर
जीवात्मा और परमात्मा का मिलन ही संध्या जीव को स्मरण कराती है ।त्रिकाल संध्या का महत्व बताते हुए श्री श्री 1008 श्री पूजनीय ,प्रातः स्मरणीय, श्री गजानन जी महाराज ( बाबाजी ) श्री धाम बालीपुर के परम शिष्य श्री योगेश जी महाराज ने बताया कि जीव मात्र लिए संध्या परम धर्म है।
आनंदघन परमात्मा का जिससे एकाकार होकर ही संसार के इस मायावी प्रपंच से छुटकारा पाया जा सकता है ।
आयुर्वेद प्रकांड विद्वान एवं वेदाचार्य तथा आदि जगतगुरु शंकराचार्य की पद्धति को अपनाने वाले श्री श्री सुधाकर जी महाराज ने बताया कि सूर्योदय, दोपहर के 12:00 बजे एवम् सूर्यास्त इन तीनों बेलाओ से पूर्व एवम् पश्चात 15 -15 मिनट का समय संध्या का मुख्य समय माना जाता है। इन समयो मे सुषुम्ना नाड़ी का द्वार खुला रहता है जो कि कुंडली जागरण एवम् साधना में उन्नति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है ।
संध्या के समय ध्यान ,जप, प्राणायाम आदि करने से बहुत लाभ होते हैं ।ब्राह्मण बटुको को उपनयन संस्कार उषाकाल मे कराया जाना चाहिए।
बाबाजी के पद चिन्हों पर चलते हुए श्री योगेश जा महाराज द्वारा ब्रह्मण बटुको का उपनयन संस्कार इस वर्ष में श्री धाम -देवभूमि ,पुण्य भूमि बालीपुर मे चतुर्थ: बार कार्यक्रम आयोजित हुआ ।
धर्म सम्राट करपात्री जी महाराज के शिष्य एवं श्री गजानन जी महाराज( बाबाजी )के गुरू भाई
पुज्य श्री आचार्य रमाशंकर जी शुक्ला, दंडी आश्रम-प्रयागराज ने संध्या के संबंध में बताया कि ईश्वर प्रतिपादक है ।अंतःकरण की शुद्धि ब्रह्म जीव के हित का संसाधन है। दीर्घकालीन संध्या से भगवत प्राप्ति भी हो सकती है ।साधक अपने जीवन को कृतार्थ करने हेतु संध्या अवश्य करें।
उज्जैन से पधारे गोपाल शर्मा ,चौबे जी ने भी संध्या के
महत्व पर प्रकाश डाला। इस कार्यक्रम में बंटी महाराज, रविंद्र जी शर्मा ,रविंद्र सिनगुन वाले ,अरुण जी महाराज एवं अन्य ब्राह्मण उपस्थित थे । उक्त जानकारी सद्गुरु सेवा समिति के अध्यापक जगदीश चंद्र पाटीदार ने दी है। मनावर से सरिता जगदीश पाटीदार की खास खबर
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