दिवंगत कवि कुंवर बेचैन की कविता का एक अंश है, ‘…क्यों हथेली की लकीरों से हैं आगे उंगलियां, रब ने भी किस्मत से आगे आपकी मेहनत रखी…’ उन्होंने इस काव्यांश में इंसान की मेहनत के महत्व का चित्रण किया है। हिंदी कविता से कोसों दूर दक्षिण भारत में शायद ऐसी ही किसी बात से इंस्पायर होकर एक पिता ने 55 साल की आयु में NEET जैसी प्रतियोगी परीक्षा में अपीयर होने का फैसला लिया है। पिता का कहना है कि वह अपने बेटे से प्रेरित होकर नीट परीक्षा पास करने का प्रयास कर रहे हैं।

1984 में छूटी पढ़ाई
तमिलनाडु के मदुरै में रहने वाले 55 वर्षीय किसान राज्याक्कोडी बेटे से प्रेरित होकर मेडिकल में दाखिले के लिए होने वाली परीक्षा NEET में अपीयर होना चाहते हैं। पैसों की तंगी के कारण 38 साल पहले परीक्षा पास होने के बावजूद राज्याक्कोडी प्राइवेट मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई नहीं कर सके थे। उन्होंने बताया कि 1984 में दाखिले के बाद फीस जमा नहीं कर सके जिस कारण उन्हें कोर्स ज्वाइन नहीं करने दिया गया।
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