“ईमाम हुसैन की शहादत ”
रहटगांव-हजरत ईमाम हुसैन की याद मे मुहर्रम का पर्व मनाया जाता हैं इसी के चलते नगर में शाह परिवार द्वारा ताजिये का निर्माण किया गया।ताजिये मंगलवार को शाम को सब्जी बाजार से पहुंचें और यहां रात्रि में रुकने के बाद बुधवार को दोपहर बाद कर्बला की ओर रवाना होंगे।जानकारी के मुताबिक ताजिए दार सेहराज शाह, मेहराज शाह ,इकबाल शाह ने बताया कि वे परंपरागत रुप से विगत कई वर्षों से ताजिए बनाते आ रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक पैगंबर मोहम्मद साहब के वफात के कुछ सालों बाद मक्का से दूर कर्बला के गवर्नर यजीद ने खुद बनना चाहता था। जिसके चलते उसने परेशान करना शुरू कर दिया और जंग शुरू कर दी जिसमें इमाम हुसैन और उनके साथियों ने मिलकर यजीद की फौज से डटकर सामना किया। हुसैन लगभग 72 लोग थे और यजीद के पास 80000 से अधिक सैनिक थे लेकिन फिर भी उन लोगों ने यजीद की फौज के दांत खट्टे कर दिये थे।हालांकि वे इस युद्ध में जीत नहीं सके और सभी शहीद हो गए। किसी तरह हुसैन इस लड़ाई में बच गए। यह लड़ाई मुहर्रम 2 से 6 तक चली। आखिरी दिन हुसैन ने अपने साथियों को कब्र में दफन किया। मुहर्रम के दसवें दिन जब हुसैन नमाज अदा कर रहे थे, तब यजीद ने धोखे से उन्हें भी मरवा दिया। उस दिन से मुहर्रम को इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।शहराज शाह,मेहराज शाह ने बताया की इसी के चलते मुस्लिम समाज द्धारा मोहर्रम की नौ एवं दस तारीख को रोजे भी रखे जाते है।
ब्यूरो रिपोर्ट हरदा✍
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