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Dharmendra Singh

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August 9, 2025

सच दिखाने की हिम्मत

*वन स्टॉप सेंटर पर दूध पीती नवजात को लेकर आई महिला को प्यार और अधिकार*


ब्यूरो वाजिद अली कुरेशी

कुछ नासमझी तुमने करी, कुछ नासमझी हमने करी, अब थोडी समझदारी तुम दिखाओ- थोडी हम
इस तर्ज पर महिला बाल विकास का वन स्टॉप सेंटर करता है काम: श्री रामनिवास बुधौलिया,
जिला कार्यक्रम अधिकारी

यूं तो OSC इंदौर पर हर तरह के मामले आते रहते हैं।
इस मामले की नजाकत को देखते हुए प्रशासक डा वंचना सिंह परिहार ने स्वयं तुरंत संज्ञान लिया और मामले को सही समय पर परामर्श के लिए भेजा।
परामर्शदात्री सुश्री अल्का फणसे ने परामर्श प्रक्रिया प्रारंभ की।

वन स्टॉप सेंटर पर एक नवयुवती रश्मि अपने एक माह के बालक को लेकर पहुंची और बताया की पति से बार बार झगड़ा होता रहा है।विवाह के सालभर बाद ही मैं मायके चली गई थी। पर पति से बहुत प्यार करती हूं और उनके बिना नहीं रह सकती। इसलिए पति से कहा था की तुम जैसे भी रखोगे रह लूंगी, पर तू मुझे ले जाओ, मां पिता के घर मुझे अच्छा नहीं लगता।7/8 महीने सब अच्छा चला पर फिर झगड़े होने लगे और पति ने कह दिया तुम मेरे साथ नहीं रहना चाहती तो चले जाओ। ससुर भी गलियां देते हैं, सासू मां जरूर मुझे समझती है।
मैं तो नहीं रहना चाहती ,मुझे केस करना है।
पर बेटी के जन्म के बाद ज्यादा झगड़े हो रहे, मेरे माता पिता क्या बच्ची से मिलने नहीं आ सकते?
महिला को शांत कर उसकी सारी व्यथा सुनी गई।फिर चित्त शांत होने पर कहा की अगर पति सुधार करके मेरे साथ रहना चाहते हैं तो मैं उनके साथ रहना चाहूंगी। कभी कभी शराब पीकर आते हैं और मुझसे बहुत बहस करते हैं। फिर झगड़ा बढ़ जाता है।अब मैं परेशान हो चुकी हूंँ, बच्ची के लिए साथ रह लूंगी पर अब हमारे बीच कोई रिश्ता नहीं रहेगा।
रश्मि के आवेदन पर पति राकेश को एक दिन बाद का समय देकर बुलाया गया।परंतु अगले ही दिन रश्मि फिर अपनी बच्ची को लेकर सास के साथ आई, बहुत रो रही थी। रात में पति से फिर झगड़ा हुआ तब पति घर छोड़कर चला गया, की ठीक है तुम ही यहांँ रहो, मैं ही घर छोड़कर जा रहा हूं। अब तो मुझे पति के साथ नहीं रहना, मुझे केस करना है।सास हमेशा मेरा साथ देती है पर अब सास कह रही तुम्हारे इतने झगड़े हो रहे तो तुम अपनी मां के घर चले जाओ।पर मैं मां बाप के घर नहीं जाना चाहती,मुझे तो पति पर अभी कार्यवाही करना है।
उसकी उद्वेलित मानसिक स्थिति को देखकर उसके साथ परामर्श सत्र लिया गया।अगले दिन फिर आने केलिए कहा गया , और रश्मि की सास से कहा गया की अगले दिन तक वो बहु के साथ रहें, उसे अकेला न छोड़े।
अगले परामर्श सत्र में रश्मि सम्हली हुई थी। तब उसने इच्छा जताई की अगर पति अच्छे से मेरे साथ रहना चाहे तो मुझे काउंसलिंग करवानी है।
रश्मि के पति अमन को बुलाया गया।उसने कहा हमारे हर 8 दिन में झगड़े होते हैं। अगर साथ रहे तोब्या तो मैं मर जाऊंगा या रश्मि। बेहतर है हम शांति से अलग हो जाए।
पति से चर्चा में ज्ञात हुआ की नासमझी में रश्मि ने फोन कुछ ऐसी बातें अपने मित्रों से की थी जो अमन के लिए तकलीफदेह थी।
इसी से विवाद शुरू हुआ। विवाद बढ़ने पर रश्मि मायके चली गई। पर वहां भी उसे दोषी ठहराया गया की तुमने बहुत बड़ी गलती की। हालांकि परिवार वाले प्यार से पेश आते थे।फिर अमन वापस आने केलिए रश्मि को माना करने लगा तब रश्मि के पिता ने धमकी दी की तुम्हारे खिलाफ दहेज प्रताड़ना का केस कर देंगे। अमन ने कभी दहेज नही मांगा था, पर उसकी मां गाहे बगाहे कह देती थी जैसे की तुझे तकलीफ हो रही तो बेटा तू अपनी मम्मी से वाशिंग मशीन का बोल दे।इस बात से अमन बहुत आहत था। रश्मि पति से माफी मांग वापस अपने घर आ गई। इसी बीच झगड़े फिर बढ़ने लगे।इसी दौरान बेटी का जन्म हुआ। रश्मि के माता पिता द्वारा कुछ वस्तुएं भेंट की गई जिसपर पति पत्नि में फिर विवाद हुआ। अमन गुस्से में रश्मि और उसके परिवार को अपशब्द कहता रहा। झगड़ा बढ़ता गया, नौबत हाथापाई तक आ गई। इसलिए अमन घर छोड़कर दोस्तवके घर रहने चला गया। बीती रात घर आया तब फिर झगड़ा हो गया।
अब शुरू हुआ परामर्श सत्रों का दौर। यूं तो OSC प्रकरणों की अधिकता के कारण तीन परामर्श सत्र लिए जाते हैं परंतु इस प्रकरण में निरंतर परामर्श सत्र होते रहे, करीब 12 परामर्श सत्रों के दौर हुए। अमन को इस बात का अहसास होने में वक्त लगा की जिसे हम किसी की गलती कहते हैं उस घटना के पीछे की मनोदशा का विश्लेषण करना आवश्यक होता है। साथ ही अगर आप किसी को माफ करते हो तो उस घटना को सिरे से भूलकर अपनी जिंदगी की किताब से वो वाकया हटाना होता है। नहीं तो जिंदगी और रिश्ते सम्हलना मुश्किल होते हैं।फिर रश्मि के साथ भी कई सत्र हुए जिसमे उसके साथ इस बात पर विमर्श हुआ की अगर आप अमन के साथ ही रहना चाहते हो तो कैसे धीरे धीरे रिश्तों में समझदारी लाई जाए। विवाद के अवसरों को कैसे टाला जाए।दोनो के ही परिवारों को कहा गया की पति पत्नी विवादों से उबरना सीख जायेंगे, आप लोगों का हस्तक्षेप बातों को बढ़ावा देता है। आरोप प्रत्यारोपो से रिश्ते और बिगड़ते हैं।
अंततः दोनो के बीच सामंजस्य स्थापित होता नजर आया और दोनो साथ रहने और अपनी बच्ची को अच्छी परवरिश देने पर सहमत हुए। रश्मि के साथ साथ अमन ने भी माना की एकदूसरे केलिए मन में प्यार तो है पर कहीं दब गया था।
उल्लेखनीय है की इस प्रकरण में आवश्यकता पड़ने पर अभी भी परामर्शदात्री अल्का फणसे द्वार दोनो को टेलीफोनिक काउंसलिंग दी जा रही है और जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री रामनिवास बुधोलिया तथा प्रशासक डा वंचना सिंह परिहार जी के मार्गदर्शन में वन स्टॉप सेंटर बेहतर से बेहतर सेवाएं देने को तत्पर है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी:
श्री रामनिवास बुधोलिया
प्रशासक :
डाॅ. वंचना सिंह परिहार
परामर्शदात्री : सुश्री अल्का फणसे
केस वर्कर : सुश्री शिवानी श्रीवास, सुश्री विनीता सिंह, सुश्री मोनिका