एस पाटीदार रिपोर्टर


भगवान श्री कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से अन्नकूट की प्रक्रिया प्रारंभ हुई ।अन्नकूट का आयोजन पूरे भारत में किया जाता है। विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्री से भगवान को छप्पन भोग लगाया जाता है ।अन्नकूट आमतौर पर फल,अनाज, सब्जियों का मिश्रण से बनता है जिससे कि लोगों को कैलोरी, ऊर्जा, फाइबर के साथ खनिज पदार्थ, लवण,आयरन, कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम ,विटामिन बी और विटामिन सी आदि प्रदान करता है ।प्रकृति के साथ ही जुडाव भी है ।मूसलाधार वर्षा से बचाने के लिए 7 दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली कनिष्ठा उंगली पर उठाकर रखा और ब्रज वासियो की रक्षा की।प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा करके कार्तिक शुक्ल माह मे अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है ।
पौराणिक कथाओं में के अनुसार बताया गया है कि बृजवासी इंद्र की पूजा करते थे और भगवान कृष्ण की मां स्वयम इंद्र की पूजा करती थी। इस स्थिति में भगवान कृष्ण ने इंद्र की पूजा को रद्द करते हुए कृष्ण की पूजा करने के लिए कहा। जो कृष्ण जी को खाद्य सामग्री रचित है ।उन्हीं चीजों को भोग स्वरूप भगवान कृष्ण को अर्पित करते हैं ।छप्पन भोग का प्रसाद चढ़ाकर अन्नकूट महोत्सव धूमधाम और अति उत्साहित के साथ मनाया गया ।इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु व सर्व समाज जन एकत्रित हुए। आतिशबाजी की ।इस दौरान नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर मनावर में भगवान की विशेष आरती की गई। भारतीय सनातन संस्कृति एवं परंपरा में अन्नकूट का विशेष महत्व है। सुरेश सेठ ,रामेश्वर पाटीदार ,गुप्ता समाज, हरिश खण्डेलवाल, राठौड समाज, सिरवी समाज, प्रदीप ओरा,नवनीत पाटीदार, अन्य नागरिकों का सहयोग रहा।
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