मोहन शर्मा रिपोर्टर

भोपाल। मध्य प्रदेश का ऐसा कोई क्षेत्र (जिला) नहीं है, जहां के निवासियों ने अंग्रेजी शासन के विरुद्ध आवाज न उठाई हो, स्वाधीनता संग्राम की गतिविधियां न हुई हों। कहीं लोगों ने अंग्रेजों से सीधा मुकाबला किया तो कहीं पर छोटे-बड़े आंदोलन हुए हैं। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में सबसे ज्यादा जंगल कानून तोड़कर अंग्रेज सरकार का विरोध किया गया था। यह तथ्य संस्कृति विभाग के स्वराज संस्थान संचालनालय द्वारा कराए गए शोध में सामने आए हैं। स्वाधीनता फैलोशिप के तहत यह कार्य प्रदेश के सभी 52 जिलों में कराया गया है। इसकी शुरुआत वर्ष 2007-08 में हुई थी, अब इसके आधार पर प्रत्येक जिले की एक-एक पुस्तिका तैयार की जाएगी।
तत्कालीन मध्य भारत के जो हिस्से, वर्तमान में मध्य प्रदेश के 52 जिलों में स्थित हैं, का उल्लेख करते हुए उन हिस्सों में तब सक्रिय रहे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का इतिहास भी शामिल किया गया है। इससे प्रत्येक जिले के व्यक्ति अपने क्षेत्र के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और उनके संघर्ष का प्रामाणिक इतिहास जान पाएंगे। साथ ही स्वाधीनता संग्राम में अनाम सेनानियों की भूमिका भी वर्तमान पीढ़ी के समक्ष आएगी। शोध के आधार पर किताबों का लेखन पूरा हो चुका है। यह किताबें 2023 की शुरुआत में यह सबके सामने जा जाएंगी। इनके माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम और सेनानियों से जुड़ी नई व प्रामाणिक जानकारियां सामने आ सकेंगी। इसमें कुछ चौंकाने तथ्य भी शामिल होंगे।
स्वराज संस्थान संचालनालय के उप संचालक एसके वर्मा ने बताया कि शोध के आधार पर प्रत्येक जिले की 200 से 500 पन्नों की अलग-अलग पुस्तकों का प्रकाशन किया जा रहा है। कुछ छोटे और नए जिलों की किताबें दो जिलों को मिलाकर लिखी गई हैं। इस प्रकार प्रदेश में कुल 52 जिलों की 44 किताबें तैयार की जा रही हैं। राजधानी में स्वराज संस्थान संचालनालय और शौर्य स्मारक स्थित बुकशाप के माध्यम से यह किताबें पाठकों को उपलब्ध होंगी लेकिन जिलों में किताबों के विक्रय की कोई व्यवस्था नहीं है। इसलिए सभी को सहज किताबें उपलब्ध कराने के लिए ई-कामर्स साइट्स का सहारा लिया जा रहा है। किताबें प्रकाशित होने तक आनलाइन आर्डर की सुविधा सुलभ हो जाएगी।
शोध में सामने आई हकीकत
सागर जिले के लिए यह कार्य डा. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के एचओडी बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने किया है। उन्होंने शोध के दौरान अंग्रेज अफसरों द्वारा लिखे गए कुछ पत्र निकाले हैं, जिनसे पता चलता है कि 1842 व 1857 की क्रांति का बुंदेलखंड में खास प्रभाव था और अंग्रेज सरकार इससे काफी डरी हुई थी। भोपाल जिले का इतिहास डा. आलोक गुप्ता ने लिखा है। उनके शोध में सीहोर में बनी सिपाही बहादुर सरकार की स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका सामने आई है। उस दौरान तत्कालीन नवाब सिकंदर जहां बेगम की अंग्रेज सरकार से निकटता के खिलाफ जाते हुए उनकी सेना के सिपाहियों और अफसरों ने समानांतर सरकार बना ली थी, जो 1857 की क्रांति में अंग्रेजों से युद्ध लड़ी थी। सिपाही बहादुर सरकार ने भोपाल, सीहोर, रायसेन, राहतगढ़ और अंबापानी तक जाकर अंग्रेजों से लोहा लिया था।
शोध कार्य पूरा करने के बाद किताबें लिखी जा चुकी हैं, जो जल्द प्रिटिंग के लिए दी जाएंगी और 26 जनवरी से बारी-बारी से आना भी शुरू हो जाएंगी। यह कार्य वर्ष 2023 में पूरा करना है। मैं खुद अपनी देखरेख में इस प्रोजेक्ट को पूरा करवा रहा हूं। किताबें लागत मूल्य पर मिलेंगी।
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