स्थान मध्य प्रदेश लोकेशन रायसेन
नरेन्द्र राय ब्यूरो चीफ



नए टीबी मरीज की सूचना देने पर मिलेगी 500 रू प्रोत्साहन राशि
सब-नेशनल ‘‘टीबी फ्री सर्टिफिकेशन‘‘ के संबंध में बैठक सम्पन्न
एंकर रायसेन कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में स्वास्थ्य विभाग द्वारा सब-नेशनल ‘‘टीबी फ्री सर्टिफिकेशन‘‘ के संबंध में बैठक आयोजित की गई। जिसमें अपर कलेक्टर आदित्य रिछारिया, सीएमएचओ डॉ दिनेश खत्री, सिविल सर्जन डॉ एके शर्मा, जिला क्षय अधिकारी डॉ प्रीतिबाला, डीपीएम शिखा सारागवी, ड्रग इंस्पेक्टर सहित सभी बीएमओ, निजी डॉक्टर्स तथा मेडिकल संचालक शामिल हुए।
बैठक में अपर कलेक्टर आदित्य रिछारिया ने कहा कि भारत को वर्ष 2025 तक क्षय रोग (टीबी) मुक्त बनाना है। इसके लिए मरीजों की त्वरित पहचान कर शीघ्र और समुचित उपचार जरूरी है। उन्होंने कहा कि टीबी के कई मरीज प्रारंभ में शासकीय अस्पतालों में ना जाकर मेडिकल क्लीनिक या प्रायवेट प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टर्स के पास जाते हैं। ऐसे मरीज शासन स्तर पर चिन्हित नहीं हो पाते। इन रोगियों की पहचान के लिए मेडिकल संचालकों, निजी डॉक्टर्स का सहयोग जरूरी है। टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए सभी को एकजुट होकर समन्वय के साथ काम करना होगा। यह सभी का सामाजिक कर्तव्य भी है।
सीएमएचओ डॉ दिनेश खत्री ने कहा कि वर्ष 2025 तक क्षय रोग (टीबी) को समाप्त करने के लिए हर स्तर पर प्रयास हो रहे हैं। सभी मेडिकल संचालक और निजी डॉक्टर्स उनके यहां इलाज या परीक्षण कराने आने वाले टीबी रोग के लक्षण वाले मरीजों तथा टीबी रोगियों की जानकारी शासन को उपलब्ध कराएं। उन्होंने कहा कि टीबी मुक्त भारत बनाने के लिए समुदाय की भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन राशि की व्यवस्था की गई है। नए टीबी रोगी को खोजने या चिन्हित करने वालों को 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके अलावा शासन द्वारा टीबी रोगी को भी इलाज के दौरान 500 रुपये प्रतिमाह की दर से पोषण के लिए खाते में राशि दी जा रही है।
जिला क्षय अधिकारी डॉ प्रीतिबाला ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से वर्ष 2025 तक टीबी यानी ट्यूबरक्लोसिस जैसी खतरनाक बीमारी को खत्म करने का संकल्प लिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा टीबी हारेगा-देश जीतेगा का नारा दिया गया है। इसी संकल्प को पूरा करने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग द्वारा गंभीरता व योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया जा रहा है। प्रदेश में भी टीबी रोग को लेकर शासन पूरी तरह से गंभीर है तथा महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिले में वर्ष 2015 से 40 प्रतिशत टीबी रोगियों की कमी आई है।
डॉ प्रीतिबाला ने कहा कि टीबी मुक्त भारत बनाने के लिए जरूरी है कि सभी रोगियों की समय पर पहचान हो और उनका नियमित उपचार भी हो। इसके लिए मेडिकल संचालक तथा निजी डॉक्टर्स का भी सहयोग जरूरी है। सभी मेडिकल संचालक और निजी डॉक्टर्स उनके पास टीबी रोग की जांच और उपचार के लिए आने वाले मरीजों का नाम, मोबाईल नम्बर, पता, किस डॉक्टर के यहां इलाज चल रहा है आदि जानकारी शासन को उपलब्ध कराएं। डॉ प्रीतिबाला ने बताया कि निजी डॉक्टर्स, मेडिकल संचालक या अन्य किसी भी व्यक्ति द्वारा टीबी पॉजीटिव आने वाले नए मरीजों की सूचना शासन या सरकारी अस्पताल में देने पर पांच सौ रू की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। बैठक में उपस्थित डॉक्टर्स, मेडिकल संचालकों से सुझाव भी मांगे गए।
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