प्रभावितों ने प्रेसकांफ्रेस लेकर अपनी मांग प्रेस के माध्यम से जिम्मेदारों तक पहुंचाई…
इरफ़ान अंसारी रिपोर्टर

महाकाल मंदिर क्षेत्र के रहवासियों ने जिला प्रशासन पर अन्याय करने का आरोप लगाया है।महाकालेश्वर मंदिर क्षेत्र में महाकाल लोक के दूसरे चरण के कार्यों की शुरुआत हो चुकी है इसी कड़ी में महाकालेश्वर मंदिर परिसर के समीप महाराज वाडा क्षेत्र में कस्बा उज्जैन सर्वे क्रमांक2111/1 के क्षेत्र में महाराज वाडा से लेकर बड़ा गणपति तक कुल 9 रहवासी रितेश माहेश्वरी ,शत्रुघ्न वाधवानी, श्रीमती विनीता जोशी, पंकज जोशी, अनिल जोशी, श्रीमती कमला बाई बाबूराव, श्री विट्ठल मंदिर देवीदास पिता रामचंद्र, श्रीमती पुष्पा बबलू राव एवं आनंद शंकर विमल शंकर व्यास यह सभी परिवार महाकालेश्वर मंदिर क्षेत्र में करीब 50 से 70 वर्षों से निवासरत थे। लेकिन 30 नवंबर 2022 को इनके मकानों को अतिक्रमण मानकर तोड़ दिया गया। जबकि इन सभी परिवारों के पास में उक्त मकानों की रजिस्ट्री हैं, और सभी परिवारों द्वारा विगत कई वर्षों से नगर निगम का हाउस टैक्स, बिजली पानी बिल नियमानुसार जमा किया जा रहा है। रहवासियों का कहना है कि इस मामले में उज्जैन कलेक्टर द्वारा 19 नवंबर 2018 में सर्वे नंबर 2111/1, रकबा 22360 हेक्टेयर भूमि को धर्मस्व विभाग को महाकालेश्वर मंदिर के विस्तारीकरण हेतु आवंटित किया गया।
रहवासियों का कहना है कि उक्त जानकारी उज्जैन प्रशासन द्वारा हमें नहीं बताई गई और हमें अंधेरे में रखा गया, और आनन-फानन में बगैर पूर्व सूचना के सामान भरे हुए मकान को तोड़ दिया गया।
रहवासियों ने पत्रकार वार्ता में जानकारी दी कि महाकालेश्वर मंदिर विस्तार योजना में हमारे सभी मकानों की भूमि को प्रशासन ने धर्मस्व विभाग को आवंटित की है और उसके बाद हमारे मकानों को तोड़ भी दिया है लेकिन अब जब हमने मुआवजा देने के लिए जिला कलेक्टर आशीष सिंह, एडीएम,SDM उज्जैन तहसीलदार, यहां तक की उज्जैन उत्तर विधायक पारस जैन मंत्री एवं विधायक डॉ मोहन यादव एवं सांसद अनिल फिरोजिया से मिले लेकिन सभी जगहों से हमें आश्वासन ही मिला लेकिन अब प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि आपके द्वारा यहां अतिक्रमण किया गया था इसलिए मुआवजा नहीं दिया जाएगा रहवासियों ने कहा की हमारी मांग है कि उक्त भूमिका कलेक्टर रेट के हिसाब से मुआवजा दिया जाए अन्यथा इस मामले को हम उच्च न्यायालय में ले जायेंगे, और हम आंदोलन भी करेंगे, इन रहवासियों में से आनंद शंकर व्यास विमल शंकर व्यास पहले से ही उच्च न्यायालय में वाद प्रस्तुत कर चुके हैं इसलिए अभी उनके मकान को नहीं तोड़ा गया है।
बहर हाल महाकाल विस्तारीकरण योजना के अंतर्गत महाकालेश्वर मंदिर से 500 मीटर के आसपास के क्षेत्र का सर्वे किया गया है और महाकाल विस्तारीकरण योजना के अंतर्गत पूरे क्षेत्र मैं बने मकानों को तोड़ा जाना प्रस्तावित है, लेकिन प्रशासन द्वारा महाकालेश्वर मंदिर के सामने के कुछ मकानों को कुछ महीने पहले तोड़ा गया था जिसका उचित मुआवजा उन्हें दिया गया एवं महाकाल मंदिर के आसपास हर फूल की दुकान लगाने वालों को भी प्रशासन ने महाकालेश्वर मंदिर में दुकान आवंटित कर रहा है ऐसे में प्रशासन हमारे साथ भेदभाव क्यों कर रहा है हमारी निजी भूमि होने के बाद भी हमें मुआवजा नहीं दिया जा रहा है, ऐसे में प्रशासन द्वारा मुआवजा ना देकर हमारे साथ अन्याय किया जा रहा है।
अब अगर प्रभावितों की मानें तो प्रशासन का ये रवैया क़ानून क़ायदों से परे हैं। क्योंकि अगर इन लोगों को विश्वास में लेकर जमीन अधिग्रहित की जाती तो भी ये प्रभावित प्रशासन से बाहर नहीं जाते। लेकिन एक तो अचानक छुपी छुपाई के मकान तोड़ने की कार्यवाही की गई और मुआवजा भी नहीं दिया जाना हर लिहाज से गलत है। इस मामले में प्रभावितों का कहना है कि उन्होंने सांसद,मंत्री,विधायक सभी से न्याय की गुहार लगाई लेकिन कोरे आश्वासन के सिवा उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ। अब देखना है कि कब और कितना मुआवजा इन लोगों को नसीब होता है या नहीं भी होता है। माननीय न्यायालय से भी आखिरी उम्मीद बची है।
वर्शन….
(1) हम विकास के विरोधी नहीं हैं हम भी चाहते हैं कि शहर का विकास हो लेकिन हमें उचित मुआवजा भी तो मिलना चाहिए।
विशाखा जोशी (रहवासी)
(2) हमारी तीन पीढ़ियां यहाँ रही हैं प्रशासन से हमारा निवेदन है कि हमें उचित मुआवजा दिया जाए…भले ही कलेक्टर रेट पर ही दिया जाए। क्योंकि ये हमारा हक है।
अनिल जोशी (प्रभावित)
(3) प्रभावितों को मुआवजा देने के लिए मैंने कलेक्टर को पत्र भी लिखा था और उन्हें नियमानुसार मुआवजा मिलेगा मिलना ही चाहिए।
पारस जैन (विधायक)
(4) प्रशासन प्रभावितों को उचित मुआवजा देने के लिए वचनबद्ध है और कईयों को मिल भी चुका है जो बचे हैं उन्हें भी नियमानुसार मुआवजा दिया जाएगा।
कल्याणी पांडे (एसडीएम)
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