सिद्धिदात्री का पूजन अर्चन हुआ।
एस पाटीदार रिपोर्टर






लोकेशन -मनावर
विओ :-पुण्य सलिला मां नर्मदा के उत्तरी तट पर बसे 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित श्री बालीपुर धाम, अंबिका आश्रम में भारतीय संस्कृति, सनातनीयो हिंदू धर्म के लोगो का त्यौहार श्री राम नवमी पर धार्मिक आयोजन हुआ। सन 1944 से अनवरत अग्निहोत्र प्रज्वलित करने वाले एवं अपनी तपस्या से बालीपुर की भूमि को तपस्थली बनाने वाले जगतगुरू,देवता,ईश्वर तुल्य ,यज्ञाचार्य ,तपोनिष्ठ श्री श्री 1008 श्री गजानन जी महाराज (बाबाजी) द्वारा जो भक्ति के बीज बोए गए, वह आज एक विशाल वृक्ष बन गये। उन्ही के पद चिन्हों पर चलते हुए श्री योगेश जी महाराज एवम सुधाकर जी महाराज ने तीन राज्यो के नौ जिलो मे ” गुरू आरती ” के माध्यम से सनातनी हिंदुत्व धर्म से अन्य धर्मो मे गये हुए लोगो को वापिस अपने धर्म मे जोडे, यु के लन्दन से प्रमाण पत्र दिया गया। जो एक ऐतिहासिक रिकार्ड है। वे राष्ट्र का कार्य भी कर रहे हैं ।
सतगुरु देव सेवा समिति के अध्यापक जगदीश पाटीदार ने बताया कि श्री महाराज द्वारा श्री राम नवमी के अवसर पर “मां सिद्धिदात्री देवी ” का पूजन- अर्चन कर दैनिक संध्या, जप,अनुष्ठान के पश्चात हवन किया गया।भर कोला का भोग लगाकर, स्नान कर 101 कन्याओं का कन्या पूजन किया गया ।फल, कद्दू की मिठाई खिलाई गई तथा स्वस्तिवाचन कर पुष्पो से भावभीनी विदाई दी गई । 359 ब्राह्मणों द्वारा श्री दुर्गा सप्तशती पाठ एवम नवार्ण मंत्रो के द्वारा पंच कुण्डी हवन में आहुतियां दी गई। महालक्ष्मी सुक्तम के मंत्रो द्वारा 181 श्रीफल की हवन में आहुती दी गई ।तत्पश्चात गुरुदेव ,माता जी की आरती कर स्तुति का वाचन किया गया। रात में बाबा जी को भोग लगाकर पंडितों एवम भक्तों को दूध, फल,एवम ज्यूस दिया गया।तीन दिवसीय श्रीहनुमान चालीसा पाठ एवं श्री दुर्गा चालीसा का पाठ भी भक्तों द्वारा किया गया। बाबा जी के आशीर्वाद के लिए लोग तरसते थे आज उनकी चरण पादुका, प्रतिमा के सामने नतमस्तक होकर आशीर्वाद प्राप्त करते र हैं । ।उसके पश्चात विशाल भंडार हुआ ,जो देर रात तक चला। विभिन्न जिलों एवं दूरस्थ अंचलों के भक्तों गुरुदेव के दर्शन कर लाभान्वित हुए। तथा भोजन प्रसादी प्राप्त की महाष्टमी के दिन बाबाजी आश्रम पिपली में पूर्णाहुति की गई ।भंडारा हुआ। बंटी महाराज एवम दुर्गाशंकर तारे,अरुण महाराज, पंकज पाण्डे आचार्य द्वारा मंत्रो का वाचन किया गया। एडव्होकेट रमेश चंद्र अगल्चा, राधेश्याम मुलेवा,बद्री देवडा,बद्री परमार,कपिल सोलंकी,नवनीत पाटीदार, कान्हा, सारिका पाटीदार, हर्ष पाटीदार, मोहन शर्मा धरमपुरी,आदि का सहयोग रहा।
बाईट :- अरूण भार्गव महाराज द्वारा।
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