राहुल राठोड़ रिपोर्टर

सरदारपुर// गांव के विकास के लिए पंचायती राज अधिनियम के तहत पंचायती राज का गठन किया गया है ताकि समस्या को गांव के सरपंच-सचिव व लोग आपस मे मिलकर सुलझा सके और गांवों की छोटी, मोटी समस्या को पंचायत के सरपंच-सचिव, ग्रामवासी मिलकर दूर कर सकें। इसके लिए ग्राम पंचायत में मूलभूत चौदहवें वित्त व पंचायत को टैक्स वसूली की योजनाओं से पंचायत की खाते में राशि आती है, जिससे पंचायत की आवश्यकता अनुसार खर्च किया जाता है लेकिन सरदारपुर विकासखंड में इस योजना का पैसा विकास के बजाय फर्जी बिल लगाकर किया जा रहा है जो सरकार व जनता के पैसे को सरपंच,सचिव व संबंधित विभाग में बैठे आला अफसर की मिलीभगत दर्शाता है।
सरदारपुर विकासखंड मे एसी कई ग्राम पंचायतों में फर्जी वेडंर व फर्जी बिल लगाकर गांव के विकास करने के बजाए खुद का विकास कर रहे हैं। दरअसल विभिन्न प्रकार के फर्जी वेंडर व फर्जी बिल लगाकर राशि का खर्च करने का भुगतान किया जा रहा है फर्जी वेडंरो मे अपने चित परिचित के खाते मे राशि डालकर आहरण किया जा रहा हे जो नियम विरूद्ध है। सरदारपुर विकासखंड कि ग्राम पंचायतों मै सरपंच-सचिव के द्वारा फर्जी वेडंर व फर्जी बिल लगाकर आहरण कर रहै है सरदारपुर तहसील में अनेको फर्जी फर्मे है जोकि धरातल पर गायब है चूंकि उक्त फर्जी दुकानदार संचालक यह कार्य नहीं करता है। सरपंच-सचिव द्वारा फर्जी भुगतान कर दिया जाता है। उक्त व्यक्ति की कोई भी दुकान नहीं है। ग्राम पंचायतो में आज भी मूलभूत समस्या बनी हुई है। जिसके समाधान करने के बजाए सरकारी धन का खुला दुरुपयोग सरपंच व सचिव कि मिली भगत द्वारा किया जा रहा है। जिस पर कोई भी अंकुश नहीं लगाया जा रहा है। ग्राम पंचायतो के सरपंच के द्वारा पंचायती राज अधिनियम को किनारे करते हुए अपने नियम पंचायत में चला रहे हैं। पंचायत में व्यय करने के लिए जो राशि आती है वो राशि पंचायत पदाधिकारियों के लिए चारागाह साबित हो रही है। पंचायती राज अधिनियम के सारे नियम कानून को किनारे कर अपना कानून चला रहे कोई अंकुश लगाने वाले नहीं हैं।
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