

श्योपुर – जल जीवन मिशन के तहत सरकार द्वारा हर घर पर नलों के माध्यम से पानी पहुंचाए जाने के उद्देश्य से शुरू की गई नल-जल योजना जिले में धरातल पर पूर्ण रूप से फेल हो गई है व भृष्टाचार की भेंट चढ़कर रह गई है यह आरोप भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के प्रदेश अध्यक्ष राधेश्याम मीणा मूंडला ने प्रेस नोट जारी करके लगाया है उन्होंने हुए कहा कि ज्यादातर गांवों में घटिया स्तर की पाइप लाइन लगाई गई है। जिसे जमीन के भीतर बेहद कम गहराई पर गाढ़ा गया है। इससे मिट्टी की ऊपरी परत हटते ही पाइप लाइन बाहर निकल आई है। कई जगहों पर नलों के चेंबर भी गुणवत्ताहीन स्तर के बनाए गए हैं, जो पानी सप्लाई शुरू होने से पहले ही क्षतिग्रस्त हो गए हैं। जिसकी शिकायत ग्रामीणों से लेकर पीएचई के अफसरों से की जा चुकी है लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं हुई है । जिले के जिन गांवों में नल-जल योजना का काम बेहतर ढंग से किए जाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा पीएचई विभाग को कई करोड़ रुपये का बजट उपलब्ध कराया है, लेकिन देखा जा रहा है कि, पीएचई के माध्यम से नल-जल योजना का काम कर रहे ठेकेदार घटिया स्तर की पाइप लाइन का उपयोग गांवों में पानी की लाइन बिछाने के लिए किया हैं। कई गांवों में पीतल की बजाए प्लास्टिक के नोजल (ज्वाइंटर) लगाए जा जा रहे हैं। इस योजना के अंतर्गत शामिल किए गए अनेक गांवो में पाइप लाइन जमीन में इतनी कम गहराई पर गाढ़ी गई है कि, मिट्टी की ऊपरी परत हटते ही लाइन दिखाई देने लगी है। ऐसे हालातों में लाइन के क्षतिग्रस्त होने की संभावनाएं बनी हुई हैं। घरों की ओर दिए गए नल कनेक्शनों को भी सीमेंट में गाढ़े जाने की बजाए पाइप का टुकड़ा लगाकर औपचारिकताएं पूरी कर दी गई हैं। यह पूरी योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है व करोड़ों का इसमें बंदरबांट चल रहा है इसकी जांच कराई जानी चाहिए अन्यथा आगामी समय में ग्रामीणों के साथ आंदोलन किया जाएगा ।
श्योपुर से -: गुलाब सिंह मारू की रिपोर्ट
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