किरण रांका रिपोर्टर

श्री ब्रह्मानंद जन सेवा संघ ,कृष्णा धाम आश्रम आष्टा पर चल रहे गुरु पूर्णिमा अमृत महोत्सव के चतुर्थ दिवस पर देश के कोने कोने से हजारों गुरु भक्तों ने अपने गुरु की अमृतवाणी का लाभ लिया! आज सभी गुरु भक्तों ने मां कृष्ण जी का जन्म दिवस को अवतरण दिवस के रूप में बड़े धूमधाम से मनाया !आज के इस शुभ अवसर पर सद्गुरु माँ कृष्णा ने अपने सत्संग में बताया कि:-
1.हमारा बचपन भगवान कृष्ण जैसा जवानी राम के स्वभाव जैसी और बुढ़ापा भगवान शिव की तरह होना चाहिए !भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे उनमें मर्यादा थी! उन्होंने अपने गुरु और माता-पिता के वचनों को माना था! हमें भी अपने गुरु पर अटूट विश्वास और श्रद्धा करनी चाहिए! संतों के सानिध्य से उनके संपर्क में रहने से उनके बताए रास्ते पर चलने से व्यक्ति का जीवन परिवर्तित हो जाता है !आपने एक प्रसंग में बताया कि बालिया लुटेरा चौरी का काम करता था!किंतु जब संत के संपर्क में आया और उनके बताये गये मंत्र राम – राम को मरा – मरा रटने लगा तो भी उसमें परिवर्तन हो गया और बालिया लुटेरा से महान वाल्मीकि संत बन गये! ऐसा प्रभाव रहता है समर्थ संतों की वाणी का !मंत्र गलत हो तो चलेगा किंतु मन गलत नहीं होना चाहिए !
2.एक आश्रम में पिंजरे में बंद तोते को गुरु ने सिखाया की दरवाजा खुला है उठ जा एक दिन संयोग से पिंजरे का दरवाजा खुला रह गया और एक शिष्य चिल्ला रहा है कि दरवाजा खुला है उड़ जा तो भी वह उड़ने की बजाए यही रट लगा रहा था कि दरवाजा खुला है उड़ जा ठीक उसी प्रकार हमारी स्थिति भी है संत हमे सांसारिक पिंजरे से निकालना चाहते हैं किंतु हम चाह कर भी उस तोते की तरह निकलना नहीं चाहते!
3.गुरु और भगवान जो देते हैं वह हमें नहीं दिखाई देता किंतु हम जो भी देते हैं वह हमें दिखाई देता है !जबकि सूर्य, चंर्दमा,वायु, जल, पैड़ पौधे सभी परमात्मा का ही रूप है जो हमें बहुत कुछ देतेरहते हैं! 4.अपना मार्गदर्शक भगवान या अपने गुरु को बनाकर रखें! दुर्योधन ने अपना मार्गदर्शक मामा सकुनी को बनाया था इसलिए उसका विनाश हुआ और अर्जुन ने अपना मार्गदर्शक भगवान कृष्ण को बनाया था इसलिए उनकी विजय हुई!
4.आपने आगे बताया कि नर्मदा का पत्थर पानी की रगड़ खाकर सालगराम बन जाता है! इसी तरह हम भी जब संतों के संपर्क में रहेगें तो एक दिन पूजनीय बन सकते हैं!
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