महेंद्र चौहान रिपोर्टर









मिली जानकारी अनुसार बखतपुरा में जमीन विवाद के चलते बखतपुरा निवासी शंकर खपेड व उसके परिवार ने अपने ऊपर केरोसिन डालकर आत्महत्या करने की कोशिश उस वक्त की जब हल्का पटवारी नरेंद्र सांवरिया व गिरदावर खपेड भूमि सीमांकन के लिए पारा झाबुआ रोड जमीन का सीमांकन करने पहुंचे। आत्मदाह कर रहे शंकर खपेड़ निवासी बखतपुरा व उसके परिवार के सदस्यों से वजह पूछने पर पता चला है कि पारा झाबुआ रोड पर पटवारी सर्वे नंबर ६९/१ ६९/२ ०.०६ हेक्टर व ०.७२९७ हेक्टर की कृषि भूमि पर चल रहे पुराने विवाद को बखतपुरा में भील पंचायत के माध्यम से सन 2019 में समझौता कर खत्म किया गया था। जिसके बाद भी बखतपुरा निवासी वीजू भाबर ने 2023 में 420सी करते हुए व उचे दमो में व रुपयों की लालच में आकर किसी अन्य को उक्त कृषि भूमि बेच दी।भूमि बेचने की जानकारी शंकर खपेड़ को अपने खेत पर बोवनी करते समय हुए विवाद से पता चली। जब सुनीता पति नुरा भाभोर निवासी गेहलर बड़ी ने खेत में बनी करने से रोकते हुए जमीन खरीदने की बात कही जबकि बखतपुरा में 2019 में हुई भील पंचायत में चली वार्तालाप में करीब 70 साल से खेती शंकर खपेड़ द्वारा की जा रही है बताया गया। लेकिन 2019 में यह जमीन विजू भाबर द्वारा हस्तक्षेप कर खुद के नाम पर बताई जाना कहा जा रहा है, जिसके लिए बखतपुरा में 2019 में परंपरागत भील पंचायत बैठाकर उक्त जमीन के विवाद को समझौते स्वरूप समाप्त किया गया। जिसमें समझौते स्वरूप विजू बाबर निवासी बखतपुरा को ₹6,50000 देना तय हुआ था। और विजू बाबर ने भी अपनी सहमति भील पंचायत में उपस्थित गांव के तड़वी और अन्य वरिष्ठ जनों के सामने दी थी। और 2019 में विजू भाभर निवासी बखतपुरा ने पटवारी सर्वे नंबर ६९/१ व ६९/२ रकबा ०.०६ हेक्टर व ०.७२९७ हेक्टर की भूमि में हस्तक्षेप नहीं करने की बात करते हुए रजिस्ट्री कराने की भी बात कही गई थी। किंतु 2023 तक विजू बाबर निवासी बखतपुरा द्वारा 420सी करते हुए। सर्वे नंबर ६९/१ व ६९/२ रकबा ०.०६ हेक्टर व ०.७२९७ की कृषि भूमि की रजिस्ट्री न कराते हुए टालता रहा। और शंकर खपेड के नाम न कराते हुए सुनीता पति नूरा भाभर निवासी गेहलर बड़ी के नाम पर 2023में रजिस्ट्री करा दी गई है। जिसने भूमि का सीमांकन कराने के लिए रजिस्ट्री कराने के लिए तहसील कार्यालय में आवेदन देकर सीमांकन कराने की बात कही गई। बखतपुरा में सीमांकन के लिए आए हल्का पटवारी नरेंद्र सांवरिया व गिरदावर खपेड जब सीमांकन करने पहुंचे तो शंकर खपेड़ व उसके परिवार द्वारा अधिकारियों के सामने अपनी जमीन पर पीढ़ियों से खेती करना बताया गया व सीमांकन नहीं करने देने के लिए निवेदन करते हुए, आत्महत्या करने की कोशिश की गई। शंकर खपेड़ व उसके परिवार को कहीं से भी सहयोग नहीं मिल रहा है। जिसके कारण हल्का पटवारी व गिरदावर के सामने परिवार सहित अपने शरीर पर केरोसिन डालकर आत्महत्या करने की कोशिश की गई। जिन्हें अधिकारियों द्वारा समझाइश देते हुए व वस्तु स्थिति देखते हुए अधिकारियों द्वारा भूमि सीमांकन रोक दिया गया।वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी जानकारी देने की बात कहते हुए हल्का पटवारी नरेंद्र सांवरिया व गिरदावर खपेड़ ने गांव के अन्य लोगों के सामने मौका पंचनामा बनाते हुए वर्तमान में खेती कर रहे शंकर खपेड़ व उसके परिवार के द्वारा खेत में सोयाबीन, मक्का व जुवार बोवनी की गई हे का पंचनामा बनाया । पूर्व से चले आ रहे कब्जे अनुसार शंकर खपेड व गोपाल पिता शंकर, मांगीलाल पिता शंकर, बाबूलाल पिता शंकर व उसके परिवार के अन्य सदस्यों का कब्जा बताते हुए मौका पंचनामा बनाकर उपस्थित बखतपुरा के तड़वी व अन्य ग्रामीण जनों के हस्ताक्षर कराए गए।
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