रामायण के उत्तरकाण्ड दोहा नंबर 120 में लिखा है जब पृथ्वी पर निंदा बढ़ जाएगी पाप बढ़ जाएंगे तब चमगादरअवतरित होंगे और चारों तरफ उनसे संबंधित बीमारी फैल जाएंगी और लोग मरेंगे और दोहा नंबर 121 में लिखा है की एक बीमारी जिसमें नर मरेंगे उसकी सिर्फ एक दवा है प्रभु भजन दान और समाधि में रहना यानी लोक डाउन भगवान का भजन ही सत्य है जितना हो सके भगवान का भजन भगवान की भक्ति भगवान की पूजन भगवान की आरती भगवान का हवन भगवान की सेवा मनुष्य जीवन का परम धर्म है जिस रूप में जिस ईस्ट में जिस परमात्मा में आप उनको मानते हैं उनको माने जो भी मंत्र जानते हैं आप जिस भी देवता का गुरु मंत्र सर्व परी मंत्र है गुरु मंत्र नहीं है जो आपके इष्ट हैं उस उनका मंत्र का भजन कर सकते हैं माला है तो माला से करें माला नहीं है तो वैसे भी करें बस भजन करें भजन का बड़ा महत्व है बड़े भाग हैं जो हमने मानुष तन पाया है और उसमें रहकर अभी हमने भजन नहीं किया तो जीवन बेकार चला जाएगा इसे बेकार ना जाने दें समय निकालकर भजन करें लोग बोलते थे भाई क्या करें समय नहीं है इसलिए पूजा पाठ नहीं कर पाते थोड़ी सी एक अगरबत्ती 2 मिनट में लगा देते हैं लेकिन भगवान ने समय दिया है तो उसका सदुपयोग तो होना ही चाहिए अब आपके पास में समय ही समय है जितना भी हो सके जितना हो सके उससे भी ज्यादा भगवान का आप भी वजन करें दूसरों को भी प्रेरणा देवी भजन करें रामचरितमानस का पाठ करें हनुमान चालीसा दुर्गा चालीसा शिव जी का चालीसा जो भी देवता में आप पूजन पाठ कर सकते हैं किसी भी देवता का ऐसा नहीं है बस आप उनके साथ श्रद्धा के साथ भगवान का भजन करें पाठ करें जिससे ही जीवन का कल्याण होगा और मोक्ष की प्राप्ति होगी जय माता दी हर हर महादेव
बुद्धनाथ चौहान की रिपोर्ट
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