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Dharmendra Singh

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June 2025
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June 18, 2025

सच दिखाने की हिम्मत

बुद्ध नाथ चौहान रिपोर्टर



परासिया केन्द्रीय पर्यावरण,वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री
भूपेन्द्र यादव को परासिया विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक ताराचंद बावरिया ने पत्र लिखकर क्षेत्र की दर्जनों खदानों को शीघ्र खुलवाने के लिए वन एवं पर्यावरण विभाग से अनुमति दिलाने की मांग की गई है। श्री बावरिया ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि मध्यप्रदेश मे विधानसभा परासिया एवं जुन्नारदेव में डब्ल्यू. सी. एल. की पेंच क्षेत्र की महादेवपुरी एवं कहान क्षेत्र की तानसी माईन एवं मोहन कॉलरी मोजारी इंक्लाईन एवं मोहन ओपन कास्ट फेस-5 को अधिकारियों की लापरवाही के कारण वन विभाग से लीज एक्सटेंशन एवं अनुमति नहीं मिलने के कारण इनके संचालन करने में बाधा आ रही है। जबकि उपरोक्त माईनों में कोयला भण्डार निम्नानुसार है। पैच क्षेत्र की महादेव पुरी माईन मे कुल कोल रिजर्व 3.5 मिलीयन टन सरफेस से गहराई 280 मीटर 2. कन्हान क्षेत्र की तानसी साईन कुल कोल रिजर्व 3.5 मिलीयन टन सरफेस से गहराई 230 से 280 मीटर कन्हान क्षेत्र की मोहन कॉलरी कुल कोल रिजर्व 1.6 मिलीयन टन सरफेस से गहराई 230 मीटर।कन्हान क्षेत्र की मोहन ओपनकास्ट फेस -5 कुल कोल रिजर्व 07 मिलीयन टन।इसी के साथ कन्हान क्षेत्र की दानवा, तानसी हर्योल,भाखरा,धाऊनार्थ, नंदन-2,टेडी ईमली, भारत ओपनकास्ट, लक्ष्य ओपनकास्ट भी कई वर्षों से प्रस्तावित है, जिसने कई माईनों का भूमि पूजन छिन्दवाड़ा जिले के तत्कालीन सांसद महोदय द्वारा किया गया लेकिन आज तक उनका संचालन प्रारंभ नहीं हो सका।उपरोक्त सभी माईनों में पर्याप्त कोयले के भण्डार के साथ साथ पर्याप्त मेन पावर भी है.पंच एवं कन्हान क्षेत्र की उक्त माईनों का संचालन नहीं होने से उक्त माईनों में कार्यरत लगभग 3000 स्थाई (पेंच क्षेत्र में 2000 एवं कन्हान क्षेत्र में 1000) के साथ-साथ एवं ठेका मजदूरों, 800 से 900 व्यापारी, उद्योग एवं स्थानीय निवासी प्रभावित होगे। भारतीय जनता पार्टी का समवैचारिक संगठन भारतीय मजदूर संघ के द्वारा इस संबंध में लगातार पत्राचार किया जा रहा है। उक्त कोयला खदानों का संचालन बंद होने से विपक्ष के साथ-साथ अन्य मजदूर संगठन भी इसे केन्द्र एवं राज्य सरकार के खिलाफ मुद्दा बनायेंगे।श्रमिक एवं जनहित में तत्काल पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग से लीज एक्सटेंशन एवं अनुमति दिलाने का कष्ट करें, ताकि उक्त कोयला खदानों को बंद होने से बचाया जा सकेगा एवं कार्यरत कामगारों को पलायन नहीं करना पडेगा।