अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पूरी महिला बिरादरी को सम्मान देने, उनके आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक, पारिवारिक कार्यकलापों आदि में उनकी भागीदारी एवं योगदान की सराहना व याद करते हुए जागरुकता के साथ प्यार व सम्मान जताने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष दिनांक 08 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का उत्सव मनाते हैं। इस उत्सव को मनाने के दौरान मातृ दिवस और वैलेंटाईन दिवस के उत्सव की तरह ही महिलाओं की ओर पुरुष अपना प्यार, देख-भाल, सराहना और लगाव को ज़ाहिर करते हैं।भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है। जोकि संस्कृत के इस श्लोक में व्याप्त अर्थ से उद्घृत हैं – ‘यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता:।

अर्थात, जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं।
बच्चों में संस्कार भरने का काम मां के रूप में नारी द्वारा ही किया जाता है। यह तो हम सभी बचपन से सुनते चले आ रहे हैं कि बच्चों की प्रथम गुरु मां ही होती है। मां के व्यक्तित्व-कृतित्व का बच्चों पर आत्यधिक प्रभाव पड़ता है। महिलाओं का अपना एक स्वर्णिम इतिहास हैं, और वे एक उज्ज्वल भविष्य की स्वामिनी हैं। बेहतर संस्कार देकर बच्चे को समाज में उदाहरण बनाना, नारी ही कर सकती है। अत: नारी सम्माननीय है।
आज मै अंशुमान द्विवेदी संगठन अध्यक्ष संस्थापक युवा संगठन इस मंच युवा समाज एकता संगठन के माध्यम से कहना चाहता हूँ कि अश्लीलता और अभद्रता की पराकाष्ठा को त्याग कर हम महिलाओं का सम्मान करें। तथा यह भी समझें कि नारी द्वारा जन्म दिए जाने पर ही हम दुनिया में अस्तित्व में आए हैं और यहां तक पहुंचें है। अतएव उन्हें ठुकराना या अपमान करना सही नहीं है।
भूत की गलतियों जैसे भ्रूण हत्या और नारी की अहमियत न समझने के परिणाम स्वरूप महिलाओं की संख्या, पुरुषों के मुकाबले आधी भी नहीं बची है। अतएव अब भी समय हैं की भूत की गलतियों से सीख लेते हुए वर्तमान में सुधार करें जिससे न केवल वर्तमान सुधरेगा बल्कि हमारा और हमारे आने वाली पीढ़ी का भविष्य भी सुधरेगा। और कौन नहीं चाहता अपना व अपनी अगली पीढ़ी का भविष्य सुधारना।
हर युग में स्त्री ने अपनी अलग-अलग छाप छोड़ी है। चाहे वो कोई भी सदी क्यों न हो, उसने हर तरह से पुरुष का साथ दिया है। और आज 21वीं सदी की स्त्री ने तो वह कर दिखाया है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिला कर हर काम को बड़ी निपुणता के साथ कर रही है। जबकि एक स्त्री और भी कई तरह की ज़िम्मेवारिओं से घिरी हुई है। परंतु जिस समाज में स्त्री का सम्मान नहीं होता ऐसा समाज कभी उन्नति नहीं कर सकता। जो समाज स्त्री और पुरुष में भेद करता है वह कभी उन्नत नही हो सकता।
हर समय हमारी सेवाओं में व्यस्त रहने वाली स्त्री सम्मान की पात्र है। हमें एक स्त्री के प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए। और उसकी अपने जीवन में कीमत समझनी चाहिए। भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी, दुर्गा व लक्ष्मी आदि के रूप में यथोचित सम्मान दिया गया है अत: अब भी उचित सम्मान दिया ही जाना चाहिए।
महिलाओं के प्रति कुछ कहने की जरूरत नही है , मैं लाख मीठे शब्द उनके सम्मान में लिख दू और फिर असली जिंदगी में माँ बहन की गालिया और भीड़ में उनके शरीर के अंग विशेष को घूरता रहू ,तो सब महिला दिवस और मेरी की गई बाते बेमतलब है ।
बस इतना कहा जा सकता है ।
एकजुट होकर गलत का विरोध करिये ,अगर एक विरोध करेगी तो ,समाज मे सब उसको ही गलत साबित कर देंगे ।
लेकिन जब एकजुट होकर विरोध करेगी तो सब साथ देगे।
संगठन अध्यक्ष अंशुमान द्विवेदी की तरफ से सभी महिला जनों को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
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