देव भूमि कश्मीर भारत की संस्कृति का अभिन्न अंग है
आष्टा /किरण रांका
पवित्र मन से प्रकृति के साहचर्य में रहिये आपका पर्यटन तीर्थाटन का रूप ले लेगा । कल्हण की भूमि कश्मीर भारत का मुकुट है पर्वतों पर देवताओं का वास होता है । देव भूमि कश्मीर शंकराचार्य जी की तप और कर्म भूमि रही है यहां से निकली चेतना ने भारत की समृद्ध विरासत को अनेक रूपों में आगे बढ़ाया है । प्रकृति ईश्वर का ही अंश है कश्मीर का नैसर्गिक सौंदर्य स्वर्गिक सुख प्रदान करता है यह हमारे कालुष्य को हरने में सक्षम है यह आशीर्वचन जूना पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरी जी महाराज के स्नेहिल आचार्य स्वामी संगम गिरी जी महाराज ने दिए । श्री नगर काश्मीर में विराजित संत संगम गिरी जी महाराज के दर्शनार्थ नगर के युवा दम्पति सपरिवार पहुंचे थे । पूज्य संगम गिरी जी महाराज ने कहा कि प्रकृति सदैव नवाचार के लिए प्रेरित करती है नवीन विचार और शुभ संकल्प भी आपको यहां प्राप्त होंगे जो पुरुषार्थ करके जीवन मे सफल होने के लिए आवश्यक हैं । पूज्य श्री ने कहा कि भारत के सांस्कृतिक वैविध्य को परस्पर मेलजोल और सम्मान से ही एकरूप किया जा सकता है । पर्यटन दल में शामिल जैन श्री संघ के राष्ट्रीय पदाधिकारी कर सलाहकार अभिषेक सुराणा , प्रभु प्रेमी संघ के सक्रिय कार्यकर्ता वीरेंद्र परमार , केमिस्ट एशोसिएशन के सदस्य राहुल सुराणा पुलक चेतना मंच के मोहित कासलीवाल बोहरा समाज के बुरहान सैफी ने सपरिवार स्वामी जी के दर्शन किये । स्वामी संगम गिरी जी ने आष्टा नगर वासियों की आस्था का अनुमोदन करते हुए तीर्थ दल में शामिल बच्चों को भी वात्सल्य मयी आशीर्वाद दिया
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